उपलब्धि / आम उत्पादन में इजराइल अव्वल, भारतीय किसान ने उनकी तकनीक से 30 टन पैदावार की

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  • 50 हजार टन की वार्षिक पैदावार के साथ इजराइल की आम पैदावार में बादशाहत बरकरार
  • इजराइल में आम की पांच किस्मों का पेटेंट है और उन्हें दूसरे देशों में नहीं उगाया नहीं जा सकता

इजराइली आम उत्पादन के मामले में दुनियाभर में पहले स्थान पर है। ऐसा क्यों है, इसे समझने के लिए नासिक के जनार्दन वाघेरे ने अपने 10 एकड़ खेत में एक प्रयोग किया। उन्होंने यह प्रयोग केसर आमों पर किया। जनार्दन के मुताबिक, इजराइल की तकनीक से लगाए गए पौधों में प्रति एकड़ 3 टन आम की पैदावार हुई। दैनिक भास्कर ऐप से बातचीत में जर्नादन वाघेरे ने बताया क्या है इजराइली तकनीक और भारत में आम की पैदावार इतनी कम क्यों है…

प्रयोग : 3 फीट की दूरी पर लगाए पौधे

  1. फसल में रसायनों का इस्तेमाल न के बराबर

    जनार्दन वाघेरे किसान होने के साथ नासिक में मैंगो फार्म के मालिक भी हैं। उन्होंने बताया, इजराइल में आम की खेती के दौरान 6X12 का नियम लागू किया जाता है यानी हर 6 फीट की दूरी पर एक पौधा लगाया जाता है और एक से दूसरी कतार की दूरी 12 फीट होती है। उन्होंने आम के पौधों की बीच की दूरी कम कर 3X14 का नियम लागू किया। फसल में रसायनों का इस्तेमाल न्यूनतम किया। नतीजा यह रहा कि प्रति एकड़ 3 टन आम की पैदावार हुई। अब यही तकनीक जनार्दन महाराष्ट्र और गुजरात के किसानों को सिखा रहे हैं।

  2. वजह : भारत इसलिए है उत्पादन में पीछे

    जर्नादन ने बताया, भारत में आम के उत्पादन में 30X30 का नियम लागू किया जाता है। पौधों के बीच दूरी अधिक होने के कारण बड़ी जगह पर भी कम पौधे लगाए जाते हैं। इसलिए हम उत्पादन में इजराइल से पीछे हैं। इजराइल में आमों के रिकॉर्ड उत्पादन का श्रेय मैंगो प्रोजेक्ट को भी जाता है जिसे यहां की सरकार चला रही है। खेती से लेकर ब्रांडिंग तक की जिम्मेदारी मैंगो प्रोजेक्ट का ही हिस्सा है। इजराइल में सालभर में 50 हजार टन आमों का उत्पादन होता है, जिसमें से 20 हजार टन निर्यात किए जाते हैं। इजराइल के आमों की पांच किस्मों का  पेटेंट है जिसे दूसरे देशों में नहीं उगाया नहीं जा सकता।

  3. 1920 में हुई इजराइल में आम उगाने की शुरुआत

    इजराइल में आम की पैदावार 1920 में शुरू हुई थी। इसे बेहतर बनाने और नई प्रजातियों को विकसित करने के लिए ‘मैंगो प्रोजेक्ट’ की शुरुआत हुई। सालों की रिसर्च के बाद देश ने अपनी आम की किस्में विकसित कीं। ये ऐसी प्रजाति थीं जो अधिक गर्म तापमान में भी बढ़ने में समर्थ थीं। इजराइली आम की सबसे पहली प्रजाति माया है। इसके अलावा शैली, ओमर, नोआ, टाली, ऑर्ली और टैंगो भी यहां विकसित की गईं। इजराइल के पास आमों की 5 प्रजातियों का पेटेंट है, जिसे कहीं और नहीं उगाया जा सकता।

  4. खेती: जून से दिसंबर तक होती है कटाई

    इजरायल में 90% आमों की पैदावार गिलबोआ और 10% सेंट्रल अरावा और जॉर्डन वैली में होती है। यहां आमों की काफी वैरायटी हैं और इनकी खासियत के मुताबिक कटाई का समय भी अलग-अलग होता है। 15 जून से लेकर दिसंबर तक आमों की कटाई की जाती है। जून से अगस्त के बीच अरावा में पैदा होने वाली हादेन, टॉमी और माया प्रजातियां हैं। अगस्त में शेली, नोआ, ओमर और सितंबर में केंट की कटाई की जाती है।

  5. मार्केट : हर साल 50 हजार टन आमों का उत्पादन

    इजराइल में हर साल 50 हजार टन आमों का उत्पादन किया जाता है। इसमें से 20 हजार टन आम को यूरोप, फ्रांस, नीदरलैंड और रूस में निर्यात किया जाता है। 30 हजार टन स्थानीय बाजारों में बिक्री के लिए भेजा जाता है। यहां हर साल 100-150 हेक्टेयर नए हिस्से में पौधरोपण किया जाता है ताकि धीरे-धीरे आमों की पैदावार को बढ़ाया जा सके। औसतन एक हेक्टेयर में यहां 30-40 टन आम की पैदावर होती है जबकि दूसरे देशों में 10 टन प्रति हेक्टेयर ही पैदावार हो पाती है।

  6. ग्लोबल मार्केट में यहां के आमों का खास रुतबा है। यूरोपियन मार्केट में 20% इजराइली आमों का हिस्सा है। आम के मामले में इजराइल के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी पश्चिम अफ्रीकी देश, ब्राजील और मैक्सिको हैं। खास किस्म के कारण साल दर साल यहां के आमों की मांग में इजाफा हो रहा है। दुनिया में बढ़ती मांग के कारण यहां नई प्रजाति को उगाने के लिए रिसर्च की जा रही है।

कहां-कितनी आम की पैदावार

देश  उत्पादन (टन में)
इजराइल50,000
भारत15,026
चीन4,351
थाईलैंड2,550
पाकिस्तान1,845

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