नई दिल्ली/कानपुर. उत्तर प्रदेश पुलिस ने किडनी रैकेट में शामिल होने के आरोप में दिल्ली के पुष्पावती सिंहानिया रिसर्च इंस्टीट्यूट (पीएसआरआई) के सीईओ डॉ. दीपक शुक्ला को गिरफ्तार किया है। शुक्रवार को हिरासत में लेने के बाद पुलिस उसे जांच के सिलसिले में कानपुर लाई थी। शनिवार को पुलिस ने बताया कि पूछताछ के दौरान शुक्ला ने मानव अंगों की खरीदफरोख्त की बात कबूली। इस इंटरनेशनल किडनी रैकेट का खुलासा फरवरी में हुआ था। गिरोह के सरगना गौरव मिश्रा समेत अब तक 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
एसपी (कानपुर) राजेश यादव ने बताया कि जांच के दौरान पीएसआरआई में अवैध तरीके से किडनी प्रत्यारोपण के सबूत मिले हैं। बिचौलियों की मदद से यहां गरीब लोग लाए जाते थे और फर्जी पैथोलॉजी रिपोर्ट तैयार कर कागज बनाए जाते थे। इसके एवज में रिसीवर से मोटी रकम वसूलने का खेल लंबे समय से जारी था। पुलिस को डॉ. केतन कौशिक की भी तलाश है। किडनी के कारोबार में कौशिक का नेटवर्क श्रीलंका, तुर्की तक फैला है। पूछताछ के दौरान सीईओ ने बताया कि रैकेट में टी राजकुमार और गौरव भी शामिल हैं, जो दिल्ली-एनसीआर में नामी अस्पतालों से जुड़े हैं।
फरवरी में महिला ने कानपुर में केस दर्ज कराया था
गिरोह के सदस्य जनवरी में कानपुर की एक महिला को काम दिलाने के बहाने गाजियाबाद ले गए थे। महिला को किडनी और लिवर बेचने के बदले पैसों का लालच दिया गया। इसके बाद महिला किसी तरह कानपुर लौटी और फरवरी में उसने एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने लंबी जांच के दौरान 10 लोगों को गिरफ्तार किया था। अमीरों से किडनी बदलवाने के एवज में 30 लाख और लिवर के हिस्से के बदले 80 लाख रुपए लिए जाते थे, लेकिन किडनी देने वाले गरीबों को सिर्फ 7-8 लाख रुपए देते थे।
इन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई
इससे पहले कानपुर पुलिस गौरव मिश्रा (लखीमपुर खीरी), टी राजकुमार राव (कोलकाता), शैलेष सक्सेना (दिल्ली), सबूर अहमद और शमशाद अली (लखनऊ), विक्की सिंह (कानपुर), श्याम तिवारी और रामू पांडे को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है।