इन दिनों राजधानी में अपराध की वारदातें काफी तेजी से बढ़ी हैं। हालांकि इससे पहले भी कई बार दिल्ली कई ऐसी वारदातों से दहली है जो पूरे विश्व मीडिया में सुर्खियां बनीं। ऐसी ही एक वारदात आज से 24 साल पहले हुई थी जिसने न सिर्फ रिश्तों पर से भरोसा उठाया था बल्कि सफेदपोश चेहरों के पीछे का सच भी सबके सामने लाकर रख दिया था। यह घटना थी नैना साहनी हत्याकांड जिसे हम तंदूर कांड के नाम से भी जानते हैं। हमारे सेक्शन खबर जो खो गई के तहत आज पढ़िए क्या थी पूरे देश को दहलाकर रख देने वाले तंदूर कांड की पूरी कहानी… परेरा बताते हैं, “बुरी तरह से जली हुई नैना साहनी की लाश बगिया रेस्त्रां के किचन के फर्श पर पड़ी थी। उसको एक कपड़े से ढका गया था। बगिया रेस्त्रां के मैनेजर केशव कुमार को पुलिस वालों ने पकड़ रखा था।” नैना के शरीर का मुख्य हिस्सा जल चुका था। लेकिन आग नैना का जूड़ा नहीं जला पाई थी। आग की गर्मी की वजह से उसकी आंतें पेट फाड़ कर बाहर आ गई थीं। अगर लाश आधे घंटे और जलती तो कुछ भी शेष नहीं रहता और हमें जांच करने में बहुत मुश्किल आती।”
जब नैना साहनी का शव जलाने में दिक्कत आई तो सुशील शर्मा ने बगिया के मैनेजर केशव को मक्खन के चार स्लैब लाने के लिए भेजा। उस समय कनॉट प्लेस थाने के एसएचओ निरंजन सिंह बताते हैं, “नैना साहनी के शव को तंदूर के अंदर रख कर नहीं बल्कि तंदूर के ऊपर रख कर जलाया जा रहा था, जैसे चिता को जलाते हैं।” हवलदार कुंजू ने सबसे पहले जली लाश देखी। उस रात 11 बजे हवलदार अब्दुल नजीर कुंजू और होमगार्ड चंदर पाल जनपथ पर गश्त लगा रहे थे।
परेरा बताते हैं, “बुरी तरह से जली हुई नैना साहनी की लाश बगिया रेस्त्रां के किचन के फर्श पर पड़ी थी। उसको एक कपड़े से ढका गया था। बगिया रेस्त्रां के मैनेजर केशव कुमार को पुलिस वालों ने पकड़ रखा था।” नैना के शरीर का मुख्य हिस्सा जल चुका था। लेकिन आग नैना का जूड़ा नहीं जला पाई थी। आग की गर्मी की वजह से उसकी आंतें पेट फाड़ कर बाहर आ गई थीं। अगर लाश आधे घंटे और जलती तो कुछ भी शेष नहीं रहता और हमें जांच करने में बहुत मुश्किल आती।”
जब नैना साहनी का शव जलाने में दिक्कत आई तो सुशील शर्मा ने बगिया के मैनेजर केशव को मक्खन के चार स्लैब लाने के लिए भेजा। उस समय कनॉट प्लेस थाने के एसएचओ निरंजन सिंह बताते हैं, “नैना साहनी के शव को तंदूर के अंदर रख कर नहीं बल्कि तंदूर के ऊपर रख कर जलाया जा रहा था, जैसे चिता को जलाते हैं।” हवलदार कुंजू ने सबसे पहले जली लाश देखी। उस रात 11 बजे हवलदार अब्दुल नजीर कुंजू और होमगार्ड चंदर पाल जनपथ पर गश्त लगा रहे थे।
अब सवाल उठता है कि सुशील शर्मा ने किन परिस्थितियों में नैना साहनी की हत्या की थी और हत्या से तुरंत पहले दोनों के बीच क्या-क्या हुआ था? निरंजन सिंह बताते हैं, “सुशील शर्मा ने मुझे बताया था कि हत्या करने के बाद उसने पहले बॉडी को पहले पॉलीथिन में लपेटा, फिर चादर में रैप किया। लेकिन वो उसे उठा नहीं पाया, इसलिए उसे ड्रैग करके नीचे खड़ी अपनी मारुति कार तक लाया।”
“उसने उसे कार की डिक्की में तो रख लिया, लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे ठिकाने किस तरह लगाना है। पहले उसने सोचा कि वो लाश को निजामुद्दीन ब्रिज के नीचे यमुना नदी में फेंक देगा।” “लेकिन बाद में उसने ये विचार बदल दिया कि कोई उसे ऐसा करते हुए देख न ले। उसे ख्याल आया कि वो अपने ही रेस्तरां में लाश को जलाकर सारे सबूत नष्ट कर दे। उसने सोचा कि उसे ऐसा करते हुए कोई देखेगा नहीं और डेड बॉडी को ठिकाने लगा दिया जाएगा।”
अब सवाल उठता है कि सुशील शर्मा ने किन परिस्थितियों में नैना साहनी की हत्या की थी और हत्या से तुरंत पहले दोनों के बीच क्या-क्या हुआ था? निरंजन सिंह बताते हैं, “सुशील शर्मा ने मुझे बताया था कि हत्या करने के बाद उसने पहले बॉडी को पहले पॉलीथिन में लपेटा, फिर चादर में रैप किया। लेकिन वो उसे उठा नहीं पाया, इसलिए उसे ड्रैग करके नीचे खड़ी अपनी मारुति कार तक लाया।”
“उसने उसे कार की डिक्की में तो रख लिया, लेकिन उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि उसे ठिकाने किस तरह लगाना है। पहले उसने सोचा कि वो लाश को निजामुद्दीन ब्रिज के नीचे यमुना नदी में फेंक देगा।” “लेकिन बाद में उसने ये विचार बदल दिया कि कोई उसे ऐसा करते हुए देख न ले। उसे ख्याल आया कि वो अपने ही रेस्तरां में लाश को जलाकर सारे सबूत नष्ट कर दे। उसने सोचा कि उसे ऐसा करते हुए कोई देखेगा नहीं और डेड बॉडी को ठिकाने लगा दिया जाएगा।”
निरंजन सिंह आगे बताते हैं, “सुशील शर्मा और नैना साहनी दोनों मंदिर मार्ग के फ़्लैट-8ए में मियां-बीबी की तरह रहते थे। लेकिन उन्होंने उस शादी को सब के लिए सामाजिक तौर पर उजागर नहीं किया था। नैना सुशील पर लगातार दबाव बना रही थी कि इस शादी को उजागर करो।”
“इस बात से दोनों में मनमुटाव शुरू हो गए। ये बात भी सामने आई कि नैना ने सुशील की आदतों और अत्याचारों से तंग आ कर अपने पुराने मित्र मतलूब करीम से मदद की गुहार की। वो ऑस्ट्रेलिया जाना चाहती थी। मतलूब करीम ने उसके ऑस्ट्रेलिया जाने में जो भी मदद हो सकती थी, की।”
“सुशील शर्मा को नैना साहनी पर शक हो गया। वो जब भी घर वापस आता था, वो घर के लैंड लाइन फोन को चेक करता था कि उस दिन नैना की किस किस से बात हुई है। घटना के दिन जब सुशील ने अपने घर पर लगे फोन को री-डायल किया तो दूसरे छोर पर मतलूब करीम ने फोन उठाया।”
अगले दिन सुशील शर्मा पहले टैक्सी से जयपुर गया और फिर वहां से चेन्नई होते हुए बेंगलुरु पहुंचा। मैक्सवेल परेरा याद करते हैं, “सुशील ने चेन्नई में अपने संपर्कों के ज़रिए एक वकील अनंत नारायण से संपर्क किया और अग्रिम ज़मानत के लिए अदालत में अर्जी लगाई। इसके बाद वो अपना चेहरा बदलने के लिए तिरुपति चला गया और वहां पर अपने बाल कटवाने के बाद वापस चेन्नई आ गया।” “जब तक इस हत्या के बारे में पूरे भारत में हल्ला मच चुका था। लेकिन इसके बावजूद चेन्नई के जज ने उसे अग्रिम जमानत दे दी। मैंने एसीपी रंगनाथन को इस जमानत का विरोध करने के लिए चेन्नई भेजा। हम अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल केटीएस तुलसी को भी चेन्नई ले गए।”
“जैसे ही सुशील को हमारे प्रयासों के बारे में पता चला, वो सरेंडर करने के लिए अपने वकील के साथ बेंगलुरु चला गया। हमें इसकी ख़बर पीटीआई से मिली। मैंने खुद बेंगलुरु जाने का फ़ैसला लिया। उसकी दो वजहें थी। एक तो मैं खुद कर्नाटक का रहने वाला था और दूसरे मैंने कानून की पढ़ाई भी कर रखी थी।” “मैं अपने साथ निरंजन सिंह और क्राइम ब्रांच के राज महेंदर को भी ले गया। वहां से हम लोग सुशील की कस्टडी ले कर वापस दिल्ली आए।
इस पूरे मामले में बगिया रेस्त्रां का मैनेजर केशव कुमार सुशील शर्मा के साथ खड़ा नजर आया। उसने पहले तो अप्रूवर बनने से ये कहते हुए इंकार कर दिया कि सुशील के उस पर बहुत एहसान हैं। बाद में जब वो अप्रूवर बनने के लिए तेयार भी हुआ तो सुशील शर्मा ने उस पर ऐसा न करने के लिए दबाव बनाया। निरंजन सिंह बताते हैं, “केशव और सुशील दोनों ही तिहाड़ जेल में बंद थे। पहले तो केशव सुशील शर्मा के लिए बहुत वफादार था। लेकिन धीरे-धीरे जब उसने अप्रूवर बनने का मन बना लिया और सुशील को इस बात की ख़बर लगी, जब सुशील ने केशव को तिहाड़ जेल के अंदर ही डराना धमकाना शुरू किया।”
“एक घटना केशव ने मुझे अपनी पेशी के दौरान बताई कि उसे जेल में ही कोई नशीली दवाई दे दी गई। जब वो डेढ़- दो दिन तक नींद से ही नहीं उठा, तब जेल वॉर्डन को पता चला कि उसने डेढ़-दो दिनों से खाना भी नहीं खाया है। उसी दिन केशव को उस वॉर्ड से हटा कर दूसरे वॉर्ड में भेज दिया गया।” “केशव के मुताबिक ये काम सुशील शर्मा ने अपने आदमियों से करवाया था।”इस पूरे मामले में पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी सुशील शर्मा को अपने राजनीतिक संपर्क न इस्तेमाल करने देना। मामला इतना हाई प्रोफ़ाइल हो गया कि जांच के दौरान भारत के तत्कालीन गृह सचिव पद्मनाभैया खुद सुशील शर्मा और नैना साहनी के मंदिर मार्ग वाले फ़्लैट का मुआयना करने पहुंचे।
मैक्सवेल परेरा बताते हैं, “ऐसी भी ख़बरें आ रही थीं कि नैना के कुछ वरिष्ठ राजनीतिज्ञों से कथित रूप से संबंध थे। उस ज़माने में हमारे प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव हुआ करते थे। वो शायद इस बात से घबरा गए। उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो से उनके ऊपर जांच बैठा दी।” “राजनेताओं ने घबरा कर ग़लत-सलत बयान देने शुरू कर दिए। किसी ने कहा मैंने कभी नैना साहनी को देखा ही नहीं। दूसरे ने फ़र्माया, जब से मैंने दूसरी शादी की है, मैंने किसी महिला की तरफ़ नज़र उठा कर भी नहीं देखा।” मैक्सवेल परेरा ने बताया, “राव ने गृह मंत्री एसबी चव्हाण से कहा कि वो इस मामले को खुद देखें। उन्होंने गृह सचिव पद्मनाभैया को निर्देश दिए कि वो खुद जा कर इस मामले को मॉनीटर करें। पद्मनाभैया खुद सुशील शर्मा और नैना साहनी के फ्लैट पहुंच गए।” “अखबारों ने इस घटना को खूब चटखारे ले कर छापा। हमें भी आदेश मिल गए कि हम इस मामले पर किसी के सामने अपना मुंह न खोलें।” इस जांच में पहली बार डीएनए और स्कल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। परेरा बताते हैं, “उस जमाने में माशेलकर साहब विज्ञान और तकनीक मंत्रालय में सचिव हुआ करते थे। मैंने उनसे बात की। उन्होंने हैदराबाद के सेंटर फॉर मॉलीकुलर बायोलॉजी के डॉक्टर लालजी सिंह को भेजा।”परेरा ने बताया, “उन्होंने आकर डीएनए फिगर प्रिंटिंग के नमूने लिए और ये साबित कर दिया कि नैना साहनी का डीएनए उनके माता पिता की बेटी के अलावा किसी और का नहीं हो सकता। हमने ‘स्कल सुपर-इंपोजीशन’ टेस्ट भी कराया, जिससे ये साबित हो गया कि ये नैना साहनी का ही शव है।”
“सब कुछ करने के बाद हमने सिर्फ 26 दिनों के अंदर अदालत में चार्ज शीट दायर की।” सालों तक चले मुकदमें में सुशील शर्मा को निचली अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई। हाई कोर्ट ने भी ये सज़ा बरकरार रखी। बाद में 8 अक्तूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्र कैद में बदल दिया। सुशील शर्मा अब तक तिहाड़ जेल में 23 साल काट चुका है। वो जेल में अब पुजारी का काम करता है। इस तरह की खबरे हैं कि दिल्ली सरकार उसके अच्छे व्यवहार के आधार पर उसे हमेशा के लिए जेल से छोड़ने का मन बना रही है।मैक्सवेल परेरा कहते हैं, “सुशील शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट को भी मना लिया। कोर्ट का अब कहना है कि कि उसमें इतना सुधार हो गया है कि वो सब के लिए पूजा कर रहा है। हमें इस बात से कोई दिक्कत नहीं है।” ‘पुलिस को जो कुछ करना था वो कर चुकी है। हमारे देश में कानून है। एक व्यवस्था है। नियम है और इनके मुताबिक फैसला करने के लिए न्यायपालिका है। वो इस बारे में क्या सोचते हैं- ये उनका विशेषाधिकार है।’
भारतीय अपराध जगत के इतिहास में तंदूर हत्याकांड को सबसे जघन्य और क्रूर अपराध की संज्ञा दी जाती है। इसका इतना व्यापक असर था कि बहुत समय तक लोगों ने तंदूर में बना खाना खाना छोड़ दिया था। मैक्सवेल परेरा ने बताया, “राव ने गृह मंत्री एसबी चव्हाण से कहा कि वो इस मामले को खुद देखें। उन्होंने गृह सचिव पद्मनाभैया को निर्देश दिए कि वो खुद जा कर इस मामले को मॉनीटर करें। पद्मनाभैया खुद सुशील शर्मा और नैना साहनी के फ़्लैट पहुंच गए।”
“अखबारों ने इस घटना को खूब चटखारे ले कर छापा। हमें भी आदेश मिल गए कि हम इस मामले पर किसी के सामने अपना मुंह न खोलें।” इस जांच में पहली बार डीएनए और स्कल इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया। परेरा बताते हैं, “उस जमाने में माशेलकर साहब विज्ञान और तकनीक मंत्रालय में सचिव हुआ करते थे। मैंने उनसे बात की। उन्होंने हैदराबाद के सेंटर फॉर मॉलीकुलर बायोलॉजी के डॉक्टर लालजी सिंह को भेजा।”परेरा ने बताया, “उन्होंने आकर डीएनए फिगर प्रिंटिंग के नमूने लिए और ये साबित कर दिया कि नैना साहनी का डीएनए उनके माता पिता की बेटी के अलावा किसी और का नहीं हो सकता। हमने ‘स्कल सुपर-इंपोजीशन’ टेस्ट भी कराया, जिससे ये साबित हो गया कि ये नैना साहनी का ही शव है।”
“सब कुछ करने के बाद हमने सिर्फ़ 26 दिनों के अंदर अदालत में चार्ज शीट दायर की।” सालों तक चले मुकदमें में सुशील शर्मा को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। हाई कोर्ट ने भी ये सजा बरकरार रखी। बाद में 8 अक्तूबर 2013 को सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्र कैद में बदल दिया। सुशील शर्मा ने तिहाड़ जेल में 23 से ज्यादा साल काटे। वो जेल में पुजारी का काम करने लगा था। दिल्ली सरकार ने उसके अच्छे व्यवहार के आधार पर उसे हमेशा के लिए साल 2018 में जेल से रिहा कर दिया।