- CN24NEWS-19/06/2019
- ऑस्ट्रेलिया के जेम्स कुक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने विकसित की माचिस के आकार की डिवाइस
- डिवाइस को छोटी सी सर्जरी से पीठ के निचले हिस्से में इंप्लांट किया जाएगा जो क्षतिग्रस्त नर्व को दुरुस्त करेगी
- हेल्थ डेस्क. अब रिमोट से कमर दर्द कम किया जा सकेगा। ऑस्ट्रेलिया के जेम्स कुक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के वैज्ञानिकों ने माचिस के आकार की ऐसी डिवाइस बनाई है जो मांसपेशियों के दर्द को कम करने में मदद करती है। डिवाइस को रिमोट से कंट्रोल किया जाता है। जिसकी मदद से धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हुई मांसपेशी में सुधार होता है और दर्द खत्म हो जाता है।
वैज्ञानिकों का दावा, 24 साल पुराना दर्द कम किया गया
इंग्लैंड में जारी है ट्रायल
वैज्ञानिकों का दावा है कि ऐसे लोग जो लगातार 24 सालों से कमर के निचले हिस्से में होने वाले दर्द से परेशान हैं और दूसरे ट्रीटमेंट से फायदा नहीं हुआ है, उनके लिए भी यह डिवाइस राहतमंद साबित हुई है। डिवाइस का ट्रायल इंग्लैंड के साउथैंपटन यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल में किया जा रहा है।
ऐसे काम करेगी डिवाइस
नई डिवाइस को पीठ के निचले हिस्से में छोटा सा चीरा लगाकर इम्प्लांट किया जाता है। इसमें करीब 1 घंटा लगता है। इसमें बैटरी और इलेक्ट्रोड मौजूद है। इलेक्ट्रोड को क्षतिग्रस्त नर्व से जोड़ा जाता है। मरीज रिमोट की मदद से एक दिन में 30 मिनट के लिए नर्व को एक्टिव कर सकता है। रोजाना ऐसा करने से मांसपेशी मजबूत होती है और दर्द खत्म कम हो जाता है।
60 फीसदी मरीजों का दर्द हुआ कम
शोध में शामिल 53 मरीजों में डिवाइस का असर जाना गया। 60 फीसदी मरीजों में दर्द में कमी देखी गई। जेम्स कुक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के शोधकर्ता के मुताबिक, रिसर्च के परिणाम मरीज के जीवन को बेहतर बनाने का काम करते हैं।
कमर दर्द के मामले महिलाओं में अधिक
शोधकर्ताओं का कहना है कि कमर दर्द के मामले पुरुषों में 20 फीसदी और महिलाओं में 20-59 साल में उम्र में अधिक देखे जाते हैं। इसका कारण नर्व का दबना या मांसपेशियों और जोड़ों का डैमेज होना है।
दर्द नजरअंदाज करने पर डैमेज हो जाती है नर्व
कई रिसर्च में सामने आया है कि ऐसे दर्द में मांसपेशियों का अहम रोल होता है। मस्तिष्क मांसपेशियों से निकलने वाले दर्द के सिग्नल को ब्लॉक करके दर्द रोकने की कोशिश करता है। लेकिन लंबे समय तक ऐसा होने के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और पीठ का मूवमेंट कम होने लगता है। ऐसे मामलों में दर्द बढ़ने पर फिजियोथैरेपी की मदद ली जाती है। गंभीर स्थिति में स्टीरॉयड के इंजेक्शन देते हैं और सर्जरी की जाती है।