दिल्ली : पत्नी से दूध मंगवाया; चुपचाप नींद की गोलियां मिलाईं, सबके बेहोश होने पर काट डाला गला

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नई दिल्ली . अपने परिवार के चार सदस्यों की बेरहमी से हत्या करने वाले आरोपी उपेंद्र शुक्ला ने पूरे प्लान के साथ वारदात को अंजाम दिया। इसके लिए उसने पूरी तैयारी कर रखी थी। वारदात के समय कोई विरोध ना कर सके इसके लिए नींद की गोलियाें का इंतजाम किया गया। डीसीपी साउथ विजय कुमार के अनुसार उपेंद्र ने वारदात के एक दिन पहले ही मेहता चौक से चाकू खरीदा था। कटर उसके पास पहले से था। मौत का सामान उसने घर में छिपाकर रख दिया। शाम 4.30 बजे वह घर के नीचे दुकान से दूध लेने गया।

रात को इस 2 बेडरूम वाले फ्लैट में उपेंद्र का परिवार, सास ललिता देवी और भतीजी अनमोल (12) थी। इन सबने रात में खाना खाया और सोने चले गए। सोने से पहले उपेंद्र ने पत्नी से दूध मंगवा लिया। अर्चना 4 ग्लास में दूध लेकर आई। उसने पत्नी को दूसरे कमरे में भेज दिया आैर दूध में नींद की गोलियां मिला दीं। अर्चना और उसके दोनों बच्चों ने दूध पी लिया। बताया गया है कि उपेंद्र ने भी अपने ग्लास में गोलियां मिलाई थीं। हालांकि, उसकी मात्रा परिवार के अन्य सदस्यों से कुछ कम थी।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक आरोपी ने देर रात 1 से 2 बजे के बीच चाकू से सभी का गला गला काट दिया। सबसे पहले उसने पत्नी को मारा। चाकू और पत्थर काटने वाली मशीन दोनों पर ही खून लगा मिला है, इस वजह से वारदात में उसका इस्तेमाल होने की भी बात कही जा रही है, लेकिन पुलिस इसे लेकर कंफर्म नहीं है।

हत्या के समय घर पर आरोपी की सास और भतीजी थी लेकिन दोनों को नहीं लगी भनक, उपेंद्र की बेटी के स्कूल जाने के समय हुआ हत्याओं का खुलासा

अंदर से कुडी बंद थी घर में खून बह रहा था : चार कत्ल करने के आद आरोपी ने पूरी रात उनके साथ ही गुजारी। वह पत्नी और बच्चों के शवों को निहारता रहा। उपेन्द्र की सास और भतीजी अनमोल बगल वाले कमरे में ही सो रही थी। उन्हें रात में हुई इन चार हत्याओं की भनक तक नहीं लगी। शनिवार सुबह अनमोल को ललिता देवी ने तैयार कर स्कूल भेज दिया। उसने बेटी को उठाने के लिए कई बार दरवाजा खटखटाया, लेकिन अंदर से कोई जवाब नहीं आया। काफी देर की कोशिश के बाद भी स्थिति यही रही। इसके बाद महिला ने शोर मचाना शुरु किया। तीसरे फ्लोर पर पियूष की फैमिली रहती है। इस शोर को सुन पीयूष को कुछ संदेह हुआ।

जमीन पर पत्नी और बेड पर बच्चों के शव : खून से लथपथ अर्चना की बॉडी फर्श पर और तीनों बच्चों का शव बेड पर पड़ा था। कमरे में खून ही खून था। उपेंद्र बेड पर बैठा हुआ था। उसके हावभाव नशे की हालत जैसे थे। पुलिस को देखकर भी उसने कोई रिएक्ट नहीं किया। चाकू व ग्राइंडर मशीन रूम में पड़ी थी। कमरे में ही 4 पत्ते नींद की गोली के बरामद हुए। उपेंद्र के कपड़ों पर खून लगा था। चारों तरफ खून बिखरे देख और बेटी और उसके बच्चों को मृत हालत में देख ललिता देवी की हालत बिगड़ गई। वह होश खो बैठी जिन्हें एम्स ट्रॉमा सेंटर पहुंचाया। आरोप के हाथ में कलाई पर चाकू से कट का निशान देख उसे भी प्राथमिक उपचार के लिए हॉस्पिटल भेजा गया।

पत्नी शुगर की मरीज थी, आरोपी को बीपी : पुलिस ने बताया आरोपी इस फ्लैट में करीब 7-8 वर्ष से रह रहा है। चौथी मंजिल पर दो फ्लैट बने हुए हैं, जिसमें उसने घर के पीछे वाला हिस्सा खरीद रखा है। घर की कीमत करीब 20 से 25 लाख के बीच है। आरोपी केमेस्ट्री टीचर है, जिसके पास 12-13 होम ट्यूशन थीं। ऐसे में उसकी आर्थिक स्थिति कमजोर होने की आंशका कम ही है। उपेंद्र की बेटी प्रिंस पब्लिक स्कूल में तीसरी कक्षा और बेटा रौनक पहली कक्षा का छात्र था। पुलिस को जानकारी मिली है उपेंद्र बीपी और उसकी पत्नी शुगर की मरीज थी। इस बीमारी को लेकर दोनों परेशान थे। एक कारण उपेंद्र के डिप्रेशन में जाने की वजह बीमारी भी थी।

पड़ोसियों से कम मेलजोल रखता था आरोपी उपेंद्र : उपेंद्र के घर के नजदीक रहने वाले अमित ढाका ने कहा वह आसपास लोगों से मतलब कम ही रखता है। देखने में वह बेहद गंभीर प्रवृति का इंसान लगता था। आते-जाते वक्त अगर वह दिख जाता तो दुआ-सलाम हो जाया करती थी, वरना वह लोगों से मेलजोल कम ही रखता था। पति-पत्नी, दोनों बेहद शंात स्वभाव के थे। उन्हंे भी इस बात को लेकर हैरानी हो रही है कि आखिर वह इतना बड़ा कदम कैसे उठा सकते हैं। उन्होंने कभी इस परिवार में किसी तरह झगड़े की बात भी नहीं सुनी थी। इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के मुताबिक हर फ्लोर पर 62-62 गज के फ्लैट बने हुए हैं। चौथी मंजिल पर उपेंद्र शुक्ला, दूसरी मंजिल पर भंडारी और आलम परिवार घर खरीदकर रह रहे हैं, जबकि बाकी फ्लैट्स में किराएदार रहते हैं।

एक्सपर्ट कमेंट ऐसे लोग मेंटल इलनेस का शिकार होते हैं : इस तरह के मामलों में देखने में आया है कि व्यक्ति मेंटल इलनेंस का शिकार होता है। वह इतना परेशान हो जाता है कि आत्महत्या करने तक से भी नहीं चूकता। ऐसा खुद की मदद करने मानसिक राहत की बात सोचकर करता है। इस मामले में व्यक्ति ने आत्महत्या करने के बारे में सोचा होगा। बाद में मन में आया होगा कि परिवार का क्या होगा इसलिए पहले परिवार को खत्म किया। फिर खुद को खत्म करने की कोशिश की लेकिन खुद को मार नहीं पाया। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए परिवार के लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। परिवार में यदि कोई व्यक्ति मानसिक रूप से बीमार दिखाई दे तो उसे डॉक्टर के पास जाने के लिए कहें।  – डॉ आरपी बेनिवाल, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, राम मनोहर लोहिया अस्पताल

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