- CN24NEWS-22/06/2019
- अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी का असर भारत की उत्पादन इकाइयों पर भी पड़ा है। यही कारण है कि डीजल रेल इंजन के नए ग्राहक देश ईरान से व्यापारिक संबंध बनने से पहले ही बिगड़ गए। कुछ महीने पहले ही ईरान ने डीरेका से रेल इंजन खरीदने पर सहमति जताई थी, लेकिन अब ईरान की ओर से सौदा होल्ड कर दिया गया है।
पुराने रेल इंजनों को बदलने और सही विकल्प की तलाश में कुछ महीने पहले ईरान का प्रतिनिधिमंडल भारत आया था। राइट्स (रेलवे की सलाहकार कंपनी) की मदद से प्रतिनिधिमंडल ने डीरेका का दौरा किया था और 4500 अश्वशक्ति क्षमता के डीजल रेल इंजनों को क्षेत्र व जरूरत के अनुकूल पाया।
सर्वप्रथम रेल इंजन के तकनीक हस्तांतरण पर लंबी वार्ता चली, लेकिन मंत्रालय ने इससे इनकार कर दिया। बाद में रेल इंजनों के निर्यात पर सहमति बनी। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल वापस लौट गया। डीरेका को ईरान से बड़ा क्रय आर्डर मिलने की उम्मीद थी। इसी बीच अमेरिका और ईरान के बीच तनातनी शुरू हो गई। इससे रेल इंजनों का सौदा अधर में लटक गया। रेल सूत्रों की मानें तो राइट्स ने कई बार प्रयास किया लेकिन ईरान ने हालात का हवाला देकर फि लहाल, यह सौदा टाल दिया है।
डीरेका से रेल इंजन लेने वाले देश
डीरेका कई देशों को रेल इंजन निर्यात करता है। इनमें तंजानिया, वियतनाम, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, सूडान, सेनेगल, माली, अंगोला, मोजांबिक और मलेशिया आदि शामिल हैं। कई और देशों से वार्ता चल रही है। हाल ही में श्रीलंका को आधा दर्जन रेल इंजन भेजे गए हैं।डीजल रेल इंजनों के निर्माण में डीरेका विश्व में अलग स्थान रखता है। ईरान के प्रतिनिधिमंडल ने 4500 अश्वशक्ति क्षमता के डीजल रेल इंजनों में रुचि दिखाई थी जिससे उम्मीद जगी थी। फि लहाल इस सौदे पर विराम लग गया है।
-नितिन मेहरोत्रा, उपमहाप्रबंधक डीरेका