मप्र : पुलिस के 22 हजार पद खाली, पिछले साल स्वीकृत 5750 पदों पर अब तक नहीं हो सकी भर्ती प्रक्रिया

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भोपाल . पुलिस में बल की कमी पूरी करने के लिए हर साल भर्ती की जा रही थी, लेकिन पिछले साल स्वीकृत सिपाही के 5750 पदों की भर्ती प्रक्रिया की शुरूआत ही नहीं हो सकी है। इन पदों की स्वीकृति शासन ने पिछले साल सितंबर में दी थी। ऐसे में सरकार द्वारा व्यापमं को बंद करने के फरमान के बाद भर्ती प्रक्रिया प्रभावित होगी। अभी यह भी तय नहीं हो सका है कि भर्ती व्यापमं कराएगा या पुलिस मुख्यालय द्वारा भर्ती प्रक्रिया की जाएगी।

पुलिस मुख्यालय के प्रस्ताव पर राज्य शासन ने सितंबर में सिपाही के 5750 पदों को मंजूरी दी थी। इसके बाद विधानसभा चुनाव और बाद में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से सिपाही के 5750 और सब इंस्पेक्टर के करीब 160 पदों की प्रक्रिया अटक गई। फिलहाल इन भर्ती प्रक्रिया को लेकर पुलिस मुख्यालय या शासन स्तर पर भी कोई हलचल नहीं है। वहीं, इस साल के पदों की स्वीकृति के लिए पुलिस मुख्यालय ने कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया है। इसको लेकर कोई हलचल भी नहीं है। अफसरों का कहना है कि सरकार के पास बजट नहीं है, ऐसे में नए पदों की मंजूरी का प्रस्ताव कैसे भेजा जा सकता है।

व्यापमं को बंद करने को लेकर असमंजस-राज्य सरकार ने व्यापमं को बंद करने का विचार बनाया है। ऐसे में सिपाही और सब इंस्पेक्टर के पदों की जो भर्ती होनी है उस पर असर पड़ेगा। वहीं, पुलिस मुख्यालय के अफसरों का भी यही मानना है कि पुलिस की भर्ती दोबारा पुलिस मुख्यालय को ही करने का अधिकार देना चाहिए। इससे समय सीमा में भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सकेगी। क्योंकि व्यापमं द्वारा केवल लिखित परीक्षा का आयोजन किया जाता है। बाकी की प्रक्रिया पुलिस द्वारा ही की जाती है।

22 हजार से ज्यादा पद हैं खाली : प्रदेश में वर्तमान में पुलिस के 22 हजार से ज्यादा पद खाली हैं। खाली पदों की पूर्ति हर साल भर्ती करके की जा रही है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया में देरी होने से खाली पदों की संख्या बढ़ती जा रही है। जबकि सरकार ने ऐलान किया था कि पुलिस में 14 हजार पदों पर भर्ती की जाएगी।

बल की कमी के कारण नहीं मिलता साप्ताहिक अवकाश : मुख्यमंत्री कमलनाथ की घोषणा के बाद भी सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक को साप्ताहिक अवकाश नहीं मिल रहा है। अफसरों का तर्क है कि पहले ही बल की कमी है, ऐसे में साप्ताहिक अवकाश देने से काम प्रभावित होता है। साप्ताहिक अवकाश नहीं देने को लेकर मुख्यमंत्री खुद नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।

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