कुल्लू. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में हुए बस हादसे के संबंध में जांच शुरू हो गई है। हादसे में मारे गए 44 लोगों का दाह संस्कार उनके गांवों में किया गया। जो गंभीर रूप से घायल हैं, उनका इलाज चंडीगढ़ के पीजीआई में चल रहा है। घायलों में कई लोगों की हालत गंभीर है। हादसे की जांच के लिए शुक्रवार को मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर रूप सिंह ने घटनास्थल पर जांच की है।
उन्होंने कहा कि हादसा बचाया जा सकता था लेकिन ड्राइवर ने किसी तरह के प्रयास ही नहीं किए। अगर उसने ब्रेक लगाई होती तो माैके पर टायरों के घिसटने के निशान हाेते। लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं पाया गया। इसके अलावा ओवरलोडिंग भी अहम कारण रही। चूंकि 42 सीटर बस में क्षमता से लगभग दोगुनी सवारियां भरी हुई थीं। इस वजह से भी बस को ड्राइवर बैक करते समय कंट्रोल नहीं कर पाया और बस खाई में चली गई। उन्होंने बस की फिटनेस को क्लीनचिट देते हुए कहा कि उसमें कोई फॉल्ट नहीं था।
पहले दिन बस चला रहा था ड्राइवर
10 साल पुरानी यह बस 10 दिन से ड्राइवर न होने की वजह से बस मालिक के घर पर ही खड़ी थी। हादसे के दौरान बस को चला रहे ड्राइवर कौल सिंह को दिहाड़ी पर पांच दिन पहले ही रखा गया था। वह पहले दिन ही इस बस को खौली के रूट पर लेकर गया था।
ड्राइवर को दो साल पहले जारी हुआ था हैवी लाइसेंस
बस चला रहे ड्राइवर कौल सिंह को हैवी लाइसेंस 5 दिसंबर 2016 में जारी हुआ था। महावीर ट्रांसपोर्ट की एक अन्य बस को वह पहले ही इसी रूट पर तीन बार खौली ले जा चुका था। इससे साफ होता है कि वह नौसीखिया नहीं था। बस को ओवरलोड करना और बैक करते समय ब्रेक का ढंग से उपयोग न करना ही बड़ी लापरवाही थी।
हादसे में 30 घायलों का चल रहा उपचार
गुरुवार को एक निजी बस 500 फीट गहरी खाई में गिर गई थी। हादसे में 44 यात्रियों की मौत हो गई। 30 घायल हैं। हादसा कुल्लू में बंजर इलाके के भेउट मोड़ पर हुआ। राज्य सरकार ने मृतकों के परिजन के लिए 20 हजार और घायलों को 5 हजार रुपए की मदद का ऐलान किया है। बस में 70 से ज्यादा लोग सवार थे।