यूएस : डेढ़ साल पहले मून मिशन को अहम बताने वाले ट्रम्प पलटे, कहा- अब मंगल पर ध्यान देना जरूरी

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न्यूयॉर्क. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ट्वीट कर नासा पर तंज कसा है। ट्रम्प ने कहा कि नासा को अब चांद के बारे में बात बंद करनी चाहिए। यह हम 50 साल पहले ही कर चुके हैं। अब हमें मंगल जैसे और बड़े मिशन पर केंद्रित होना चाहिए। ट्रम्प के इस ट्वीट के बाद ट्विटर पर उनका मजाक उड़ना शुरू हो गया है। दरअसल, 1.5 साल पहले उनकी सरकार ने 2024 तक चांद पर मानव मिशन की योजना रखी थी। हालांकि, अब ट्रम्प के ट्वीट से असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है।

अक्टूबर 2017 में अमेरिका के उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने मून मिशन दोबारा शुरू करने की सिफारिश की थी। इसके दो महीने बाद ही ट्रम्प ने कहा था कि नासा के लिए पहले चांद पर जाना ठीक होगा। इससे मंगल के मिशन के लिए आधार तैयार होगा और शायद हम आगे की दुनिया भी खोज पाएं। अमेरिका इससे पहले 1969 से 1972 के बीच चांद पर अपने 6 मानव मिशन (अपोलो मिशन) भेज चुका है।

2020 से पर्यटकों के लिए खुलेगा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन

अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने कहा है कि 2020 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) को पर्यटकों के लिए खोल दिया जाएगा। यानी अंतरिक्ष में रिसर्च के के अलावा अब लोग आईएसएस पर रुक भी सकेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसएस में एक रात का किराया 35 हजार डॉलर (करीब 25 लाख रु) होगा।

नासा के चीफ फाइनेंस ऑफिसर जेफ डीविट ने शुक्रवार को बताया कि एजेंसी अब आईएसएस को आर्थिक अवसरों के लिए भी खोल रही है। हम इसकी मार्केटिंग भी करेंगे। 2020 के बाद से हर साल कम से कम दो मिशन होंगे। इनमें पर्यटकों को 30 दिन तक आईएसएस पर रुकने का ऑफर दिया जाएगा। हर साल 12 अंतरिक्ष यात्री स्पेस स्टेशन पर जा सकेंगे।

ट्रांसपोर्ट वाहन बना रही स्पेस-एक्स और बोइंग
नासा की योजना को एलन मस्क की स्पेस-एक्स और बोइंग जैसी कंपनी अमल में लाएंगी। दोनों कंपनी अंतरिक्ष में जाने के लिए ट्रांसपोर्ट व्हीकल तैयार कर रही हैं। स्पेस-एक्स ने हाल ही में अपने क्रू ड्रैगन कैप्सूल का टेस्ट किया था, जबकि बोइंग भी स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट टेस्ट कर रही है। कंपनियां कॉन्टेस्ट के जरिए अंतरिक्ष यात्रा के लिए लोगों का चयन करेंगी। अभी आईएसएस पर आने-जाने का किराया करीब 5.8 करोड़ डॉलर (402 करोड़ रुपए) रखा गया है।

अमेरिका ने रूस के साथ मिलकर बनाया था आईएसएस
आईएसएस को अमेरिका और रूस ने 1998 में साझा प्रोजेक्ट के तहत बनाया था। कई अन्य देश भी बाद में इसके निर्माण में जुड़ते गए। हालांकि, ज्यादातर कंट्रोल्स और मॉड्यूल्स का खर्च अमेरिका ही उठाता है। हालांकि, यह पहली बार नहीं होगा. जब कोई पर्यटक आईएसएस का दौरा करेगा। इससे पहले 2001 में अमेरिकी बिजनेसमैन डेनिस टीटो ने रूस को 2 करोड़ डॉलर (करीब 139 करोड़ रु) चुकाकर स्पेस स्टेशन का दौरा किया था।

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