बालोतरा (राजस्थान). बाड़मेर जिले के बालोतरा में रविवार को रामकथा हादसा में मरने वालों की तादाद 14 हो गई। वहीं, 70 लोग जख्मी हैं। चश्मदीदों के मुताबिक, बवंडर से रामकथा का पंडाल (डोम) 20 फीट ऊपर तक उड़ गया, फिर नीचे गिरा। इसके बाद लोहे के पाइप में करंट दौड़ गया, जिससे सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। उस वक्त हवा की रफतार 80 से 100 किमी प्रति घंटा थी। करीब डेढ़ मिनट में ही पूरा पंडाल तहस-नहस हो गया। किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला।
लोगों का आरोप है कि पंडाल का फाउंडेशन बेहद कमजोर था। वह सिर्फ दो फीट के फाउंडेशन पर खड़ा था। रामकथा के दौरान करीब 800 लोग पंडाल में मौजूद थे। बवंडर के बाद जैसे ही पंडाल नीचे गिरा तो लोहे के एंगल श्रद्धालुओं पर गिर पड़े। इससे लोगों के सिर, पैर और पेट में गंभीर चोटें आई। बताया जा रहा कि दो लोगों की लोहे का एंगल लगने से मौत हुई।
4 वजहें, जिनसे ज्यादा नुकसान हुआ
- आंधी चली-बारिश हुई, लेकिन कथा का आयोजन जारी रखा : कथा की शुरुआत दोपहर 2 बजे हुई थी। करीब 3:15 बजे आंधी के साथ बूंदाबांदी शुरू हुई। पंडाल में पानी टपकने लगा तो आयोजकों ने श्रद्धालुओं को आगे- पीछे किया, लेकिन कथा जारी रही। दोपहर 3:28 बजे अचानक बवंडर उठा और पंडाल धराशायी हो गया।
- बिजली काटी, पर ऑटोमेटिक जनरेटर ऑन हो गए : पंडाल गिरते ही करंट दौड़ा तो बिजली काट दी गई। लेकिन वहां दो ऑटोमैटिक जनरेटर लगे थे, वे स्टार्ट हो गए और करंट बना रहा। उधर, बिजली निगम के अफसर ने अफसर सोनाराम चौधरी ने बताया कि कार्यक्रम के लिए कोई बिजली कनेक्शन नहीं लिया था।
- प्रख्यात महाराज थे, प्रशासन ने इंतजाम क्यों नहीं किए: मुरलीधर महाराज मारवाड़ के प्रसिद्ध कथावाचक हैं। इनके कार्यक्रमों में भीड़ उमड़ती है। इसके बावजूद प्रशासन ने इस तरह के आयोजन को लेकर सुरक्षा संबंधी तैयारियों जायजा क्यों नहीं लिया।
- पंडाल में हवा पास होने के लिए जगह ही नहीं छोड़ी : डोम में हवा पास होने के लिए जगह ही नहीं छोड़ी गई। यही कारण रहा कि जब तूफानी हवा आई तो पंडाल में भर गई। बवंडर ने ऊपर की ओर उठा लिया। डोम का फाउंडेशन कमजोर था। आसानी से उखड़ गया। इसी कारण एंगल उखड़कर शामियाने के साथ हवा में उड़ गए।