नई दिल्ली. संसदीय समिति द्वारा सोमवार को पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक 1980 से 2010 के बीच भारतीयों ने विदेशों में 9 से 18 लाख करोड़ रुपए के बीच बेहिसाबी संपत्ति जमा करवाई। यह आंकड़ा एनआईपीएफपी, एनसीएईआर और एनआईएफएम जैसे संस्थानों के अध्ययन के बाद की गई रिपोर्ट में सामने आया।
संपत्ति के आंकलन का कोई तय पैमाना नहीं: रिपोर्ट
- रिपोर्ट को वित्त विभाग की स्टैंडिंग कमेटी ने पेश किया। इसके मुताबिक, सबसे ज्यादा कमाई रियल एस्टेट, माइनिंग, फार्मास्यूटिकल, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, कमोडिटी, फिल्म और शिक्षा जैसे क्षेत्रों से की गई।
- रिपोर्ट में कहा गया कि कालेधन की उत्पत्ति और इसकी गणना को लेकर कोई विश्वस्त तरीका या पैमाना नहीं है। सदन में पेश की गई रिपोर्ट का शीर्षक ‘देश-विदेश में मौजूद बेहिसाब संपत्ति के स्टेट्स का विश्लेषण’दिया गया है।
- दूसरा यही कारण है कि इन तमाम आंकलनों के बीच कोई एकरूपता नहीं है, जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि बेहिसाब संपत्ति के आंकलन के लिए यह तरीका ही सर्वश्रेष्ठ है।
- नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की रिपोर्ट के मुताबिक भारत और विदेशों में 1980 से 2010 के बीच मौजूद बेहिसाब संपत्ति का आंकड़ा करीब 12 से 18 लाख करोड़ रुपए हो सकता है।
- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक 1990-2008 के बीच बेहिसाब संपत्ति का आंकलन 9,41,837 करोड़ रुपए किया गया। यह भारत में रिफॉर्म का दौर था।