वेदांता के चेयरमैन ने मोदी से कहा- 5 माइनिंग कंपनियों के निजीकरण से 28 लाख करोड़ रु. बच सकते हैं

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नई दिल्ली. वेदांता रिसोर्सेस के चेयरमैन अनिल अग्रवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सलाह दी है कि पांच माइनिंग कंपनियों का निजीकरण करने से सरकार को हर साल 28 लाख करोड़ रुपए का फायदा हो सकता है। सरकार इतनी रकम खनन उत्पादों के आयात पर हर साल खर्च कर रही है। मोदी ने शनिवार को 40 से ज्यादा अर्थशास्त्रियों और उद्योग विशेषज्ञों की बैठक बुलाई थी। इस दौरान मौजूदा आर्थिक स्थिति को लेकर भी चर्चा हुई थी।

नीति आयोग द्वारा आयोजित इस बैठक में अर्थशास्त्रियों के अलावा 3 उद्योगपतियों को भी बुलाया गया था। इनमें वेदांता रिसोर्सेस के चेयरमैन अग्रवाल के अलावा टाटा ग्रुप के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और आईटीसी के चेयरमैन संजीव पुरी भी शामिल थे।

अग्रवाल ने माइनिंग और प्राकृतिक संसाधनों पर सुझाव दिए
अनिल अग्रवाल ने मोदी को माइनिंग और प्राकृतिक संसाधनों पर सुझाव दिए। उनका कहना था कि सरकार के पांच पीएसयू हिंदुस्तान जिंक, हिंदुस्तान कॉपर, कोलार गोल्ड, यूरेनियम कॉरपोरेशन, शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और एनएमडीसी का निजीकरण तत्काल प्रभाव से करना चाहिए। नौकरियां कम किए बगैर निजीकरण करना बेहतरीन योजना है।

अनिल अग्रवाल ने कहा, हिंदुस्तान जिंक लि. का वेदांता ने जब टेकओवर किया तो वहां पांच हजार कर्मी थे, जो अब बढ़कर 25 हजार हो चुके हैं। वेदांता के इसमें 64.9% शेयर हैं। उनका कहना है कि अगर समय रहते निजीकरण का फैसला नहीं लिया गया तो सरकार का आयात बिल 28 लाख करोड़ रुपए से भी ज्यादा हो जाएगा।

अग्रवाल ने ये सुझाव दिए

  • अग्रवाल के मुताबिक, अगर हम अपना तेल उत्पादन दोगुना कर लें और गोल्ड आउटपुट 300 टन कर लें तो चालू खाते का घाटा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उनका कहना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और बैंकों को स्वायत्ता मिलनी जरूरी है। इनका संचालन ब्रिटिश एयरवेज की तर्ज पर होना चाहिए। इस कंपनी को बोर्ड चलाता है।
  • ”पीएसयू और पीएसबी में बहुत ज्यादा क्षमताएं हैं, लेकिन इनका प्रबंधन कोई फैसला लेने से हिचकिचाता है। उन्हें लगता है कि जांच के रूप में कोई नया बखेड़ा न खड़ा हो जाए। निर्णय लेने के लिए प्रबंधन को अधिकार मिलने जरूरी हैं, क्योंकि इन कंपनियों में बेशुमार टैलेंट है।”
  • ”माइनिंग के 200 ब्लॉक तत्काल प्रभाव से स्वीकृत होने जरूरी हैं। कोयले, बक्साइट, कॉपर और लौह अयस्क के बड़े ब्लॉकों की नीलामी तत्काल प्रभाव से की जानी चाहिए। माइनिंग बढ़ने से सरकार कोष में 30 लाख करोड़ से ज्यादा की रकम आ सकती है और इससे दो करोड़ रोजगारों का सृजन होगा।”
  • ”ऑयल ब्लॉक के कांट्रेक्ट को बढ़ाया जाना चाहिए। इन पर कोई नया टैक्स नहीं थोपना चाहिए। वन और पर्यावरण से जुड़ी स्वीकृति इन्हें 60 दिनों के भीतर मिले। कॉरपोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 20% करना बेहद जरूरी है। उनका कहना है कि प्राकृतिक संसाधन और इलेक्ट्रानिक्स के क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित किए जा सकते हैं।”

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