अमरगढ़. गांव तोलावाल में दलितों के लिए 11 एकड़ रिजर्व जमीन की बोली के दौरान हिंसक लड़ाई में 17 लोग घायल हो गए। घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। जहां एक बजुर्ग महिला की हालत को गंभीर देखते हुए उसे पटियाला रैफर कर दिया है।
दलितों को जमीन दिलाने के लिए संघर्ष में जुटीं जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी का आरोप है कि प्रशासन डम्मी बोली करवाना चाहता था। जिसका विरोध किया गया तो गुंडों ने उन पर हमला कर दिया। जबकि बोलीकार पक्ष ने जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी पर ही हमले के आरोप लगाए हैं। डीडीपीओ नरभिंदर सिंह ग्रेवाल ने बताया कि जिले में 3300 एकड़ रिजर्व जमीन है जिसकी प्रति वर्ष बोली होती है। अधिकतर बोली हो चुकी है। 80 एकड़ जमीन की बोली विवाद के कारण अटकी है।
विरोध किया तो हमला कर दिया :
जमीन प्राप्ति संघर्ष कमेटी के जिला प्रधान मुकेश मलौद ने कहा कि गांव तोलावाल के दलित भाईचारे ने ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर दलितों को 33 वर्ष लीज पर जमीन देने की मांग की थी, परंतु बीडीपीओ की ओर से धक्के से डम्मी बोली करवाने का प्रयास किया गया। बीडीपीओ से दलितों की धर्मशाला में बोली करवाने की बजाए चुपचाप आंगनबाड़ी सेंटर में बोली करवाने की कोशिश की। जब इसके विरूद्ध नारेबाजी शुरू की तो वहां पहले से मौजूद 20-25 गुंडों ने दलितों पर हमला कर दिया। जिसमें माया देवी, हरबंस कौर, रमनदीप कौर, जगतार सिंह, गुरजंट सिंह, जगमेल सिंह व हरबंस सिंह बुरी तरह से घायल हो गए। जिन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती करवाया गया। जहां माया देवी की हालत को गंभीर देखते हुए उसे पटियाला के लिए रैफर कर दिया गया है।
अगर पुलिस न होती तो माहौल और खराब होता :
थानेदार कृपाल सिंह ने बताया कि पुलिस ने दोनों पक्षों की लड़ाई रोकने की पूरी कोशिश की थी। यदि पुलिस पार्टी वहां पर न होती तो माहौल काफी खराब हो सकता था। दोनों पक्षों के बयान दर्ज कर जांच के बाद अगली कार्रवाई की जाएगी।
पहले भी हो चुका झगड़ा :
बता दें कि 16 जून 2019 को गांव मीमसा में बोली विवाद को लेकर क्रांतिकारी पेंडू मजदूर यूनियन के सदस्यों पर जानलेवा हमला कर दिया गया था। जिसमें चार सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए थे। पुलिस ने 30 व्यक्तियों को नामजद किया था।