महाकाल मंदिर में प्राचीन शिवलिंग-विष्णु की मूर्ति मिली

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उज्जैन में महाकाल मंदिर परिसर में पिछले एक साल से महाकालेश्वर मंदिर परिसर में विस्तारीकरण के लिए खुदाई का काम चल रहा है। खुदाई के दौरान मंगलवार को एक शिवलिंग और बुधवार सुबह विष्णु भगवान की मूर्ति मिली है। पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों के देखरेख में शिवलिंग को निकाला जा रहा है।

बुधवार सुबह पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों की टीम उज्जैन पहुंच गई है। पुरातत्व विभाग के अनुसार जलाधारी शिवलिंग 9वीं से 10वीं शताब्दी के समय का है। विष्णु की मूर्ति 10वीं शताब्दी की है। मंदिर परिसर में पहले मिले परमारकालीन मंदिर से यह शिवलिंग अलग है, क्योंकि परमार कालीन मंदिर 11वीं शताब्दी का है।

महाकाल मंदिर में खुदाई के दौरान मई में 11वी शताब्दी का परमार कालीन मंदिर का ढांचा सामने आया था। मंदिर का पूरा स्ट्रक्चर साफ दिखाई देने लगा था। मंदिर परमार कालीन वास्तुकला से निर्मित था, जो देखने में बेहद खूबसूरत लग रहा था।

महाकाल मंदिर परिसर में मिला पौने दो फीट ऊंचा शिवलिंग।
महाकाल मंदिर परिसर में मिला पौने दो फीट ऊंचा शिवलिंग।

विस्तारीकरण के लिए मंगलवार को आगे की ओर चल रही खुदाई में एक बड़े शिवलिंग का भाग जमीन के भूगर्भ में दिखाई दिया था। इसके बाद धीरे-धीरे खुदाई की गई तो शिवलिंग की पूरी जलाधारी सामने आ गई। शिवलिंग की लंबाई करीब पौने दो फीट है। मंदिर प्रशासन के अधिकारियों को जब शिवलिंग की सूचना मिली तो उन्होंने खुदाई वाले स्थान पर पहुंच कर शिवलिंग को चद्दर से ढंक कर पुरातत्व विभाग के शोध अधिकारी दुर्गेंद्र सिंह जोधा को जानकारी दी।

1000 वर्ष पुराना परमारकालीन मंदिर के अवशेष
1000 वर्ष पुराना परमारकालीन मंदिर के अवशेष

मई में मिली थी माता की प्रतिमा

30 मई को महाकाल मंदिर के आगे वाले भाग में खुदाई के दौरान माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड के अवशेष मिले थे। फिलहाल पुरातत्व विभाग अवशेष खंडों पर शोध कर रहा है। माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड के अवशेष मिलने की जानकारी जैसे ही संस्कृति विभाग को लगी, उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग, भोपाल की चार सदस्यीय एक टीम को महाकाल मंदिर के लिए भेज दी थी।

मंदिर परिसर से खुदाई में मिली विष्णु भगवान की मूर्ति।
मंदिर परिसर से खुदाई में मिली विष्णु भगवान की मूर्ति।

उज्जैन पहुंची चार सदस्यों की टीम ने बारीकी से मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरीक्षण किया था। टीम को लीड कर रहे पुरातत्वीय अधिकारी डॉ. रमेश यादव ने बताया था कि मंदिर के उत्तरी भाग में 11वीं-12वीं शताब्दी का मंदिर नीचे दबा हुआ है। वहीं दक्षिण की ओर चार मीटर नीचे एक दीवार मिली है, जो करीब करीब 2100 साल पुरानी हो सकती है।

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