कोलकाता. पश्चिम बंगाल में ममता सरकार ने एक पत्र जारी कर 70% से ज्यादा मुस्लिम छात्रों वाले स्कूलों में मिड-डे मील डाइनिंग हॉल बनाने का आदेश दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने गुरुवार को ट्वीट कर ममता सरकार के इस आदेश को बच्चों के साथ भेदभाव बताया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सफाई दी कि आदेश का गलत मतलब निकाला गया।
ममता ने कहा- यह डाइनिंग रूम सभी के लिए है
- सरकार के आदेशानुसार, इस नियम को लागू करने के लिए राज्य द्वारा संचालित सभी स्कूलों से छात्रों का डाटा भी मांगा है। भाजपा अध्यक्ष ने ममता सरकार के जिस आदेश पत्र को शेयर किया है, वह विशेष सचिव द्वारा 14 जून को कूच बिहार जिला शिक्षा विभाग के नाम से जारी किया गया है।
- ममता ने कहा, ‘अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र जहां ज्यादा संख्या में होंगे, वहां हम योजना के लिए अल्पसंख्यक कल्याण विभाग कोष से डाइनिंग रूम बनाएंगे। यही नियम भी है, जिसका हम पालन कर रहे हैं। यह एक तकनीकी मसला है, इससे ज्यादा कुछ नहीं। यह डाइनिंग रूम सभी के लिए है।’
- दिलीप ने ट्वीट किया, ‘धर्म के आधार पर छात्रों के बीच यह भेदभाव क्यों किया जा रहा? क्या इस अलगाव के पीछे कोई और बुरी नीयत है? या फिर ये दूसरी कोई साजिश है? मुस्लिम स्कूलों में अलग से आधुनिक सुविधाएं देकर ममता सरकार अन्य धर्मों के बच्चों के साथ भेदभाव कर रही है।’
1.1 The West Bengal Government has issued a circular whereby it has directed the school authorities where 70 % or more students are from the Muslim community to reserve a dining hall with seating arrangements for them. pic.twitter.com/cwYQWngDtW
— Dilip Ghosh (@DilipGhoshBJP) June 27, 2019
- भाजपा नेता रूपा गांगुली ने कहा- दीदी तो शुरू से ही बच्चों से हिन्दू-मुस्लिम का भेदभाव करती आ रही हैं। स्कूलों में यदि नबी दिवस मनाया जाए तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होता, लेकिन सरस्वती पूजा करने पर वे हिंदू बच्चों पर भी हमला कर देती हैं। यदि हम बचपन से ही बच्चों को भेदभाव करना सिखाएंगे, तो उनका भविष्य कितना खराब होगा सोच भी नहीं सकते।
- बंगाल के अल्पसंख्यक मामले और मदरसा शिक्षा विभाग ने आदेश को लागू करने के लिए कवायद तेज कर दी है। विभागों ने उन सभी सरकारी स्कूलों लिस्ट मांगी है, जहां मुस्लिम छात्रों की संख्या 70 प्रतिशत से ज्यादा है। इसके लिए 28 जून तक का समय दिया गया।