गांधी परिवार पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष का हमला

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बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फासिस्टराज की बात शायद सोनिया गांधी के लिए कही होगी। इस देश में फासिस्टराज सोनिया की सास (इंदिरा गांधी) ने ही आपातकाल लागू करके शुरू किया था। कांग्रेस की नीति फासीवादी, वंशवादी और परिवारवादी रही है। न उस परिवार में लोकतंत्र है, न कांग्रेस पार्टी में लोकतंत्र है। जयपुर जिला परिषद की नई जिला प्रमुख रमा देवी चोपड़ा के कार्यभार ग्रहण करवाने के लिए सतीश पूनिया जिला परिषद पहुंचे। इस दौरान मीडिया से रूबरू होकर उन्होंने ये बातें कहीं।

कांग्रेस में लोकतंत्र होता तो वह देश में सत्ता से बाहर न होती

पूनिया ने कहा- अगर कांग्रेस के अन्दर लोकतंत्र होता, तो शायद कांग्रेस सत्ता से बाहर न होती। देश में 1885 की वह पार्टी जिसने 50 बरसों तक शासन किया, वह इतनी गैर वाजिब नीति और व्यवहार के कारण बर्बाद नहीं होती।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फासिस्टराज बयान पर पलटवार।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फासिस्टराज बयान पर पलटवार।

जमीन खिसक रही है

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से पंजाब के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने को मजबूर हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह को ट्वीट के जरिए दी गई नसीहत और बीजेपी की केन्द्र सरकार पर किए गए कटाक्ष पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने यह जवाब दिया है। पूनिया ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसी सलाह कोई डरा हुआ व्यक्ति ही दे सकता है। इसके नीचे की जमीन खिसक रही हो और कुर्सी के पाये हिल रहे हों। जुम्मा-जुम्मा अमरिंदर सिंह के बाद ढाई प्रदेशों में कांग्रेस की सरकार थी। अब यह तय हो गया है कि कांग्रेस से उनके बड़े नेताओं का भी मोहभंग हो रहा है। हमने पिछले दिनों भी इसकी चर्चा सुनी थी।

राजस्थान में मंत्रिमंडल पुनर्गठन बड़ा काम

राजस्थान में मंत्रिमण्डल विस्तार की संभावनाओं को लेकर पूछे गए सवाल पर पूनिया ने कहा कि यह सवाल अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति में पूछे जाने वाले सवाल जैसा हो गया है। यहां न तो सवाल का आधार है, न जवाब मिल पा रहा है और न ही इसमें लोगों को ईनाम मिल पाएगा। अभी तो ऐसा लगता है कि राजस्थान में बाकी समस्याओं के निपटारे से बड़ा काम मंत्रिमंडल का पुनर्गठन ही है।

कई लोगों के कोट सिले-सिलाए रह गए

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मंत्रिमण्डल विस्तार की सम्भावनाओं और लम्बे वक्त से चलती आ रहीं चर्चाओं पर कहा- मुझे अब लगता है, कुछ नहीं हो पाएगा। कई लोगों के कोट सिले-सिलाए रह गए। कई के मुंगेरीलाल के हसीन सपने हो गए। अब पता नहीं कब राधा नाचेगी और कब नौ मन तेल होगा।

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