मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण तय किए जाने को वैध बताया। जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। हालांकि, उन्होंने आरक्षण का दायरा 16 प्रतिशत किए जाने की मांग को नामंजूर किया। कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों में 12 और सरकारी नौकरियों में 13 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के निर्देश दिए।
16 प्रतिशत आरक्षण की मांग की गई थी
- 30 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र विधानसभा में मराठा आरक्षण बिल पास किया गया। इसमें शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय के लिए 16 प्रतिशत आरक्षण तय किए जाने की बात कही गई।
- 6 फरवरी को जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डांगरे की बेंच ने प्रदेश सरकार समेत उन याचिकाकर्ताओं की याचिकाओं पर भी सुनवाई की थी, जिसमें मराठा समुदाय को आरक्षण दिए जाने का विरोध किया गया था।
- कोर्ट ने दो महीने तक इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की। सभी पक्षों को सुनने के बाद 26 मार्च को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।
- दरअसल, याचिकाओं में कहा गया कि 16 प्रतिशत आरक्षण के लागू होने से प्रदेश में मराठा समुदाय का आरक्षण 52 से बढ़कर 68 प्रतिशत हो जाएगा, यह सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तय की गई अधिकतम सीमा से 18 प्रतिशत ज्यादा होगा।
- हाईकोर्ट ने कहा- 50 प्रतिशत का दायरा दुर्लभतम स्थितियों में बढ़ाया जा सकता है। 8 मार्च को देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू किए जाने को लेकर नोटिस जारी किया था।