VFJ से 10 MPV लेने पहुंची BSF टीम

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नक्सलियों और आंतकियों द्वारा बिछाए गए बारूदी सुरंग के धमाकों से हमारे पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों और सेना के जवानों की जिंदगी बचाने में कारगर माइंस प्रोटेक्टेड वीकल (MPV) की एक खेप लेने बार्डर सुरक्षा फोर्स (BSF) की एक टीम जबलपुर पहुंची है। बीएसएफ के सुझाव पर इन वाहनों में सुरक्षा की ऐसी तकनीक भी लगाने की तैयारी है, जिससे यह बारूदी सुरंग से पहले ही ड्राइवर को अलर्ट कर दें कि आगे खतरा है।

जबलपुर में वीकल फैक्ट्री (VFJ) इससे पहले सेना के लिए स्टालियन-6×6 और कई अन्य वाहन बनाती थी। अब यहां माइंस प्रोटेक्टिव वाहन तैयार किए जा रहे हैं। वीएफजे को अभी 100 एमपीवी बनाने का ऑर्डर मिला है। इस वाहन की कई विशेषताएं हैं। जमीन में बिछी बारूदी सुरंग से यह वाहन गुजर जाएं, तो भी विस्फोट में सैनिकों को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा।

यह कई किलो बारूद के विस्फोट को भी सहन कर सकता है। इसमें शक्तिशाली आर्मर्ड शीट होती है, जो बारूद के विस्फोट को सहन करने में सक्षम है। यहां तक की फायरिंग से भी यह सुरक्षा बलों को कवच प्रदान करती है। इसका शीशा बुलेटप्रूफ होता है। इस वाहन में जवाबी फायरिंग के लिए पोर्ट भी बने होते हैं।

बीएसएफ की टीम 10 एमपीवी लेने जबलपुर वीएफजे पहुंची।
बीएसएफ की टीम 10 एमपीवी लेने जबलपुर वीएफजे पहुंची।

10 एमपीवी लेने पहुंची है बीएसएफ की टीम

वीएफजे सूत्रों के मुताबिक अनुबंध के तहत बीएसएफ की टीम 10 एमपीवी लेने पहुंची है। इस टीम में बीएसएफ के आला अधिकारी शामिल हैं। टीम के साथ वाहन निर्माण से जुड़े टीम के अधिकारियों की एक बैठक भी हुई। इसमें वाहन की खूबियों और जरूरी तकनीक की जानकारी दी गई। बीएसएफ के सुझाव पर कि इस वाहन में ऐसी तकनीक का प्रयोग किया जाए, जो बारूदी सुरंग से पहले ही ड्राइवर को अलर्ट कर दें, पर भी वीएफजे ने अमल करने की बात कही है। इस तकनीक से इस वाहन की सुरक्षा और मजबूत हो जाएगी।

बांग्लादेश ने भी एमपीवी वाहन खरीदने में दिखाई दिलचस्पी।
बांग्लादेश ने भी एमपीवी वाहन खरीदने में दिखाई दिलचस्पी।

बांग्लादेशी टीम पहुंची जबलपुर वीएफजे

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को वाहन निर्माणी में तैयार होने वाला माइंस प्रोटेक्टिव वीकल की खूबियां भा गई हैं। राजधानी ढाका की ओर से रक्षा सौदे के लिए हाथ बढ़ाया गया है। इसके लिए बांग्लादेश का एक डेलिगेशन आज 22 सितंबर बुधवार को जबलपुर की वाहन निर्माणी पहुंचा है। इस सुरंगरोधी वाहन की खूबियों को और करीब से जानने के बाद ऑर्डर और सप्लाई की तारीख तय होगी। रक्षा मंत्रालय के माध्यम से ये खरीदी प्रक्रिया होनी है इस प्रतिनिधिमंडल के साथ कोलकाता से ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के अधिकारी भी आ रहे हैं। वे ही वाहन से संबंधित जानकारी बांग्लादेशी प्रतिनिधिमंडल को देंगे। साथ ही वाहन भी दिखाएंगे। ये टीम मॉडीफाइड माइन प्रोटेक्टेड वीकल (एमएमपीवी) भी देख सकती है।

क्वॉलिटी पैरामीटर्स का मुआयना

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक वीएफजे में पहुंचे बांग्लादेश के नौ सदस्यीय टीम एमपीवी की प्रोडक्शन लाइन, क्वॉलिटी पैरामीटर्स, इंजन पॉवर जैसे कई महत्वपूर्ण पहलुओं का जायजा लेगी। इस दौरान यह भी तय किया जाएगा कि बांग्लादेश की तरफ से आने वाली डिमांड को कितने दिनों में पूरा किया जा सकता है।

नेपाल भी 5 एमपीवी पहुंचाई जा चुकी है

5 एमपीवी की सप्लाई पड़ोसी देश नेपाल को भी की गई है। वीएफजे का क्रू 20 सितंबर को सभी 5 सुरंगरोधी वाहनों को बॉर्डर स्थित कोणना घाट, गोरखपुर में छोड़कर वापस लौटा। इससे पहले सभी युद्धक वाहनों को हाल ही में 7 सितंबर को रवाना किया गया था। इलाहाबाद में कई तरह की टेस्टिंग से गुजरने के बाद सभी वाहनों को अलग-अलग ट्राले में लोड कर बॉर्डर पर छोड़ा गया।

2014 से बंद था निर्माण

एमपीवी का प्रयोग बीएसएफ के साथ-साथ सेना, सीआरपीएफ, असम राइफल, छत्तीसगढ़ व महाराष्ट्र पुलिस भी कर रही है। खासकर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इसी वाहन से भ्रमण किया जाता है। इस वाहन के निर्माण में कई कच्चा माल विदेशों से मंगाना पड़ता है। 2014 से वीएफजे में इसका निर्माण लगभग बंद था। 2020 में रक्षा मंत्रालय की ओर से सेना और अर्द्धसैनिक बलों के लिए वाहन तैयार करने का ऑर्डर वीएफजे को मिला था। बीएसएफ को कुल 224 वाहनों की जरूरत है। अभी उसके पास 30 वाहन ही मौजूद है। अब 10 वाहन और खरीदे जा रहे हैं।

संसद में रक्षा मंत्रालय की ओर से 2020 में ये पेश किया गया था जवाब

सीआरपीएफ काे कुल 668 एमपीवी की जरूरत है और उसके पास 150 ये वाहन हैं।

बीएसएफ को 224 एमपीवी की जरूरत है। उसके पास अभी 30 वाहन हैं।

सीआईएसएफ को 10 एमपीवी की जरूरत है। उसके पास अभी एक भी वाहन नहीं है।

आईटीबीपी को 40 एमपीवी की जरूरत है। उसके पास 23 वाहन हैं।

एनएसजी को 16 एमपीवी की जरूरत है। अभी उसके पास एक भी वाहन नहीं है।

एसएसबी को 7 एमपीवी की जरूरत है। अभी उसके पास एक भी वाहन नहीं है।

असम राइफल को 92 एमपीवी की जरूरत है। उसके पास अभी 30 वाहन उपलब्ध है।

इस बख्तरबंद वाहन में कई खूबियां।
इस बख्तरबंद वाहन में कई खूबियां।

एमपीवी वाहन की विशेषता

ये वाहन टायर के नीचे भारी मात्रा में विस्फोट होने पर भी सुरक्षित रहेगा।

यह पूरी तरह से बख्तरबंद वातानुकूलित वाहन है। यह हर तरह के मौसम में उपयोगी है।

इसे बुलेटप्रूफ शीशे और लोहे का उपयोग कर तैयार किया गया है।

इस वाहन में वाकी-टाकी, वायरलैस, स्पीकर सिस्टम, सर्च लाइट, इंटरनेट आदि की सुविधा से लैस किया गया है।

इस वाहन में 12 लोग बैठ सकते हैं। यह दुश्मनों, आतंकियों, दंगाईयों पर नजर रखने में विशेष उपयोगी है।

इस वाहन में फायरिंग कोड से हमला करने की अचूक क्षमता है।

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