मप्र : सांसद केपी सिंह और उनके बेटे पर धोखाधड़ी का केस दर्ज; गुना सीट से सिंधिया को हराकर चर्चा में आए थे

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अशोकनगर. गुना-शिवपुरी सीट पर ज्योतिरादित्य सिंधिया को हराकर सांसद बनने वाले केपी यादव की मुसीबतें बढ़ गई हैं। केपी यादव एवं उनके बेटे सार्थक यादव पर रविवार रात अशोकनगर कोतवाली में धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ है। मुंगावली विधायक ब्रजेंद्र सिंह यादव की शिकायत पर मुंगावली एसडीएम ने सांसद डॉ. केपी यादव एवं उनके बेटे सार्थक यादव के जाति प्रमाणपत्रों की जांच की थी। विधायक ब्रजेंद्र सिंह ने आरोप लगाया था कि दोनों ने ही अपने जाति प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए झूठे दस्तावेज पेश किए थे।

एसडीएम ने जांच में पाया था कि दोनों ने ही क्रीमीलेयर से बाहर जाकर प्रमाण पत्र हासिल किए हैं। जबकि सांसद केपी यादव इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं। इसके बाद भी उन्होंने क्रीमीलेयर से बाहर जाकर ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाया और अपनी आय 8 लाख रुपए से कम बताई थी। जबकि लोकसभा चुनाव में दिए गए शपथ पत्र में उन्होंने अपनी आय 39 लाख बताई थी। विधायक से पहले कोलुआ निवासी गिरिराज यादव ने भी इस मामले की शिकायत की थी।

सांसद केपी यादव और उनके बेटे सार्थक पर पुलिस ने मुंगावली एसडीएम की जांच रिपोर्ट के आधार पर धारा 420, 120 बी 181 एवं 182 के तहत अशोकनगर कोतवाली में केस दर्ज कर लिया है। पिछले हफ्ते ही केपी यादव एवं उनके बेटे सार्थक यादव के जाति प्रमाण पत्र निरस्त किए गए थे। अशोक नगर के भाजपा जिलाध्यक्ष उमेश रघुवंशी ने इसे प्रदेश सरकार के दवाब में की गई कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि हम एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे।

अशोकनगर एसपी पंकज कुमावत ने बताया कि एसडीएम मुंगावली द्वारा नॉन क्रीमीलेयर जाति प्रमाणपत्र को लेकर जांच की गई थी। उसके तहत एडिशनल एडवोकेट जनरल से विधिक राय लेने के उपरांत, विधिक राय के अनुसार जाति प्रमाण पत्र झूठा पाए जाने एवं गलत जानकारी कर आधार पर बनवाए जाने पर पाए जाने पर विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर कोतवाली पुलिस ने जीरो पर कायमी कर मुंगावली थाने भेजा गया है।

दोषी मिले तो 7 साल तक सजा हो सकती है
कानून विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 466 (दस्तावेज की कूट रचना) एवं 181 (शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकृत लोक सेवक के या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान) के तहत प्रकरण दर्ज किया जाता है। दोषी पाए जाने पर अधिकतम 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है।

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