- CN24NEWS-26/06/2019
- अदालत ने शरद, संजीव की जमानत याचिका पर फैसला 5 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया
- मॉर्निंग वाॅक पर गए डॉ. दाभोलकर को 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारी गई थी
पुणे. समाजसेवी डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के मामला में सीबीआई ने एक बड़ा खुलासा किया है। मंगलवार को अदालत में सीबीआई ने हत्याकांड में गिरफ्तार शरद कलास्कर और अधिवक्ता संजीव पुनालेकर की जमानत याचिका का विरोध किया। सीबीआई ने कहा कि शरद कालस्कर ने फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण परीक्षण के दौरान नरेंद्र दाभोलकर की हत्या करने की बात कबूल की है।
जांच एजेंसी ने अदालत को यह भी बताया कि कलास्कर ने फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के दौरान जून 2018 में पुनालेकर से मिलना और उसकी सलाह पर हथियारों को नष्ट करना स्वीकार किया है।
चार्जशीट में कलास्कर को बताया गया दाभोलकर का हत्यारा
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में कलास्कर को डॉ दाभोलकर के एक हत्यारे के रूप में पेश किया है। चार्जशीट के मुताबिक, कलास्कर ने मॉर्निंग वाक पर गए दाभोलकर को 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारी थी।
सरकारी वकील का तर्क
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रवींद्र पांडे की अदालत में सुनवाई के दौरान विशेष सरकारी वकील (एसपीपी) प्रकाश सूर्यवंशी ने कहा, “आरोपी अन्य लोगों को धमका कर बयान बदलने पर मजबूर कर सकते हैं। इसलिए इन्हें जांच पूरी होने तक जमानत नहीं दी जानी चाहिए।” सूर्यवंशी ने कलास्कर पर किए गए फोरेंसिक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के निष्कर्षों को भी अदालत में पेश किया।
बचाव पक्ष का तर्क
इसपर पुनालेकर के वकील वकील, वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह की परिक्षण रिपोर्ट अदालत में सबूत के रूप में मान्य नहीं हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने दोनों की जमानत याचिका पर फैसला 5 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया है।