राजनांदगांव | छत्तीसगढ़ सीमा पर बागनदी में मनोहर जलाशय है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस जलाशय का 80 फीसदी हिस्सा छत्तीसगढ़ में आता है, फिर इस पानी का उपयोग हम नहीं कर पा रहे हैं। 40 वर्षों से महाराष्ट्र सरकार ही इसके पानी का उपयोग कर रही है। क्योंकि मध्यप्रदेश शासन काल में विशेष करार के तहत महाराष्ट्र को पानी देने की योजना बनाई गई थी।
सवाल ये है कि पानी किसी का एकाधिकार कैसे हो सकता है, इस पर तो सबका सामान हक है। विडंबना ये है कि एमपी से पृथक हो अस्तित्व में आने के 18 साल बाद भी छग सरकार इस ओर कोई निर्णय नहीं ले पाई है। जबकि स्थानीय किसान वर्षों से इसी जलाशय से सिंचाई सुविधा की मांग कर रहे हैं।
भरपूर पानी: सैकड़ों एकड़ में फैला यह जलाशय वारह माह लबालब रहता है। इस बार की भीषण गर्मी में जहां कई नदी तालाब सूख गए वहां पानी की नीली चमक कई किलोमीटर दूर से ही दिखाई पड़ रही थी। जलाशय से सिंचाई सुविधा देने के मुद्दे को लेकर बीते महीने क्षेत्र के 32 गांव के किसान लामबंद हो गए थे। शासन-प्रशासन को ज्ञापन सौंपा पर हुआ कुछ नहीं।
इस जलाशय से महाराष्ट्र के सैकड़ों एकड़ खेतों में सिंचाई की जाती है। यहां से मध्यप्रदेश के बालाघाट तक पानी पहुंचाया जाता है। हम ये नहीं कह रहे कि महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश को पानी देना बंद कर दिया जाए। इसमें छग को भी शामिल किया जाए।
हम कोशिश कर रहे हैं : मनोहर जलाशय से सिंचाई सुविधा देने की मांग की है। ज्ञापन भी सौंपा था। सीएम बघेल से मुलाकात कर इस ओर कार्रवाई करने निवेदन किया था। उन्होंने पहल का आश्वासन दिया है। -नवाज खान, अध्यक्ष, ग्रामीण जिला कांग्रेस कमेटी
ऊपर लेवल का मामला : एमपी शासन के समय करार हुआ था। हालांकि जलाशय के काफी बड़ा एरिया छग में आता है। आपकी सोच अच्छी है लेकिन यह मसला लोकल स्तर से नहीं हो पाएगा। ये ऊपर लेवल की बात है। – एमएल भलावी, ईई, जल संसाधन विभाग