छत्तीसगढ़ :पैसे नहीं थे, निजी अस्पताल ने किया डिस्चार्ज मेडिकल काॅलेज में कराया भर्ती, हुई मौत

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अंबिकापुर | शहर के एक निजी अस्पताल ने सांप के डसने से गंभीर एक युवती का तब तक इलाज करते रहा जब तक उसके परिजन के पास पैसे रहे। सप्ताह भर में करीब सवा लाख रुपए इलाज पर खर्च आया और जब पैसे खत्म हो गए तो अस्पताल ने युवती को डिस्चार्ज कर दिया। बलरामपुर जिले के रघुनाथनगर निवासी 20 वर्षीय युवती जय कुमारी पिता दुलार सिंह को वापस वाड्रफनगर सीएचसी अस्पताल ले गए। डाॅक्टरों ने हालत को देखते हुए युवती को मेडिकल काॅलेज अस्पताल अंबिकापुर रेफर कर दिया। परिजनों ने उसे वापस मेडिकल काॅलेज अंबिकापुर में भर्ती कराया लेकिन उनकी कोशिशें बेकार साबित हुई। इलाज के दौरान रविवार की रात युवती की मौत हो गई। इस पूरे मामले में निजी अस्पतालों की मनमानी एक बार फिर उजागर हुई है।

वे गंभीर मरीज का तब तक इलाज तो करते हैं जब तक परिवार वाले उनकी फीस पटाते रहते हैं और जब पैसे खत्म हो जाते हैं तो कोई न कोई बहाना बनाकर उन्हें रेफर कर देते हैं या फिर डिस्चार्ज कर घर ले जाने कह दिया जाता हैं।
यदि भर्ती होने के समय ऐसे निर्णय लेते तो शायद ऐसी स्थिति नहीं बनती और मरीजों का सरकारी अस्पताल में ही बेहतर इलाज होता या रेफर होकर रायपुर मेडिकल काॅलेज तक जाते। पुलिस ने मामले में मर्ग कायम कर लिया है।

सप्ताहभर के भीतर ऐसा तीसरा मामला : पैसे खत्म होने के बाद निजी अस्पताल से मरीज को डिस्चार्ज करने का सप्ताहभर के भीतर यह तीसरा मामला है। इससे पहले सड़क हादसे में घायल युवक को परिजनों ने बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां से युवक को पैसे खत्म होने के बाद अस्पताल ने डिस्चार्ज कर दिया था।

इसके बाद युवक को वापस अंबिकापुर मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती कराया था जहां उसकी मौत हो गई थी। इसी दौरान शहर के एक निजी अस्पताल में पैसे खत्म होने के बाद मरीज को डिस्चार्ज करने का मामला सामने आया था। मरीज को आग से जलने पर परिजनों ने पहले निजी अस्पताल में भर्ती कराया था फिर बाद में मेडिकल काॅलेज जाना पड़ा जहां उसकी मौत हो गई थी।

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