राजनांदगांव. गुरुवार को हावड़ा-मुंबई मेल से रेस्क्यू कराए गए 33 बच्चों के मामले में आरपीएफ की लापरवाही भी सामने आई। इतने बच्चे देख आरपीएफ ने कोई पूछताछ नहीं की। मामले में टीटीई ने भी आराम से कह दिया, हम बेवजह किसी यात्री को क्यों परेशान करें। महिला वकीलों ने पूछा तब जब साढ़े नौ सौ किमी की यात्रा पूरी हो चुकी थी। मामले काे मानव तस्करी से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
बच्चों को सत्यापन के लिए बाल गृह व आश्रय गृह दुर्ग में रखते हुए बाल कल्याण समिति द्वारा अपने संरक्षण में लिया है। 10 बच्चों को दुर्ग बालगृह व 23 बच्चों को बोरसी शेल्टर होम में रखा गया है। मामले में 33 बच्चों को भागलपुर कटिहार जिले से पढ़ाने नंदूरबार (महाराष्ट्र) के मदरसे में ले जाना बताया। कुछ परिजन ने बताया कि वे बच्चे नहीं पाल पा रहे थे, इसलिए मदरसा भेजा।
शिक्षक ले जा रहा था ट्रेन से बच्चों को
मामले में हाफिज शाकिर हुसैन (22) निवासी ग्राम माधवपुर, पोस्ट परशुरामपुर, थाना पिरपैती, जिला भागलपुर, बिहार ने बताया कुछ बच्चे भागलपुर के थे कुछ कटिहार के बताए। 11 बच्चे पहले ही गोंडा के किसी मदरसे में पढ़ रहे हैं, बाकी बच्चों का वहीं एडमिशन कराने ले जा रहा था। वो भी परिजन की मौखिक रजामंदी पर।
इसी ट्रेन से गए एडीआरएम
इत्तफाक से एडीआरएम वायएच राठौर रेलवे स्टेशन के निरीक्षण पर पहुंचे थे। दोपहर को एडीआरएम हावड़ा मुंबई मेल से रवाना हुए, जिसमें बच्चों को ले जाया जा रहा था।
कुछ बच्चे पहले भी महाराष्ट्र लाए जा चुके
यह भी पता चला कि कि कुछ बच्चे पहले भी महाराष्ट्र के मदरसे में जा चुके हैं। कुछ के छह से सात भाई बहन हैं। सवाल उठ रहे हैं कि मदरसे हर जगह हैं तो फिर 1500 किमी दूर महाराष्ट्र क्यों ले जाया जा रहा था। वहीं लिखित सूचना या सहमति भी नहीं मिल पाई।
परिजन से बात की तो सहमति का पता चला
मंगल भवन पुलिस लाइन में बच्चों को भोजन कराया गया। बच्चों ने पता भागलपुर और कटिहार बताया। कुछ परिजन से चर्चा की व बताया कि उनकी सहमति पर ले जाया गया। गोंडा में जिस मदरसे का नाम बताया गया है उसका भौतिक सत्यापन बाकी है।
22 मिनट स्टेशन पर खड़ी रही गाड़ी, फिर चेन पुलिंग
रेस्क्यू करने के लिए हावड़ा मुंबई मेल को 22 मिनट तक राजनांदगांव रेलवे स्टेशन पर रोका गया था, इसके बाद फिर ट्रेन छूटी। पुलिस ने जिन लोगों को उतारा था, उनके बैग ट्रेन में रह गए थे, ऐसे में पुलिस के कहने पर अन्य यात्रियों ने चेन पुलिंग की। फिर 6 मिनट ट्रेन रुकी। संदिग्धों की निशानदेही पर सामान उतारे गए। फिर ट्रेन रवाना हुई।
अभी जांच बाकी है
^बच्चों को दुर्ग चाइल्ड होम्स में शिफ्ट किया गया है। बच्चों ने मदरसा जाने की बात स्वीकार की है, परिजन से भी फोन पर चर्चा हुई है। भौतिक सत्यापन होना बाकी है, जांच की जाएगी। रिपोर्ट आने के बाद सीडब्ल्यूसी आगे की कार्रवाई करेगी। – चंद्रकिशोर लाड़े, जिला बाल संरक्षण अधिकारी
शिक्षक को छोड़ देंगे
^बच्चों के साथ जिस शिक्षक को यहां लाया गया था, उसका वेरिफिकेशन किया जा चुका है, बच्चों ने काउंसिलिंग में भी ऐसा कुछ नहीं कहा, इसलिए शिक्षक को छोड़ दिया जाएगा। बच्चों के संबंध में बाल कल्याण समिति निर्णय करेगी।-यूबीएस चौहान, एएसपी