नई दिल्ली. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने सोमवार को कहा कि पार्टी को राहुल गांधी के फैसले का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने एक पत्र में लिखा कि राहुल के इस्तीफे के बाद पार्टी में भटकाव और भ्रम की स्थिति को देखकर मैं हैरान हूं। उनके बहादुरी भरे फैसले का सम्मान करने की बजाय लोग उनसे इस्तीफा वापस लेने की बात कर रहे हैं। सिंह ने सुझाव दिया कि सीडब्ल्यूसी की बैठक तुरंत बुलाई जानी चाहिए और मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आवश्यक फैसला तुरंत लें।
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद 25 मई को सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस्तीफे का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने किसी गैर-गांधी को पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने के लिए सुझाव दिया था।
‘नकारात्मकता का चक्र तुरंत खत्म होना चाहिए’
सिंह ने लिखा- ऐसे ईमानदार और सम्मानित व्यक्ति पर इस्तीफा वापस लेने का दबाव नहीं डालना चाहिए। 6 महीने बीत चुके हैं और अभी भी कोई वैकल्पिक ढांचा खड़ा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा- मेरे नजरिए में जब तक नया पार्टी अध्यक्ष नहीं चुन लिया जाता है, तब तक उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम क्षेत्रों के लिए 4 अंतरिम अध्यक्षों और उपाध्यक्षों का चयन किया जाए। इससे युवाओं को जिम्मेदार पदों पर आने के लिए रास्ता खुलेगा। उन्होंने कहा- जितना अधिक अनिश्चितता की स्थिति बनी रहेगी, देशभर में हमारे कार्यकर्ता और वोटर उतने ही ज्यादा हतोत्साहित होंगे। नकारात्मकता के इस चक्र को जल्द से जल्द खत्म करना चाहिए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
इस बीच कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा- अगर पार्टी में गैर-गांधी को अध्यक्ष बनाए जाने जैसी स्थिति बनती है तो यह फैसला सबकी सलाह के बाद ही लिया जाएगा। कांग्रेस अपने पार्टी के संविधान का कड़ाई से पालन करती है।
राहुल ने इस्तीफे पर कहा था- बाकी नेताओं की जवाबदेही भी तय की जाए
वायनाड से सांसद राहुल गांधी 2017 में कांग्रेस अध्यक्ष बने थे। लोकसभा चुनाव में मिली हार की जिम्मेदारी लेते हुए 25 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। हालांकि, पार्टी ने इसे स्वीकार नहीं किया था। पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल के इस्तीफे के खिलाफ थे। लेकिन इसके बाद भी राहुल लगातार इस पर अड़े रहे।
राहुल ने 3 जुलाई को 4 पेज का लेटर ट्वीट किया था। इसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद छोड़ने की बात कही थी। उन्होंने पार्टी को कड़े फैसले लेने और बाकी नेताओं की जवाबदेही भी तय करने की बात भी कही थी। इसके बाद से कांग्रेस के कई प्रदेश अध्यक्षों, महासचिवों समेत तमाम पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया।