बॉलीवुड डेस्क. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 8 जुलाई को फिल्म आर्टिकल-15 की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने वाली एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। हालांकि फिल्म 28 जून को रिलीज हो चुकी थी और दो हफ्तों में 46.21 करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है।
निर्धारित अधिकारी से करें शिकायत : न्यायमूर्ति एस.ए. बोबडे और बी.आर. गवई की बेंच ने याचिकाकर्ता ब्राह्मण समाज को फिल्म के लिए प्रमाणपत्र जारी करने और इस संबंध में की गई शिकायतों के लिए अधिनियम के तहत निर्धारित किए गए अधिकारी से संपर्क करने कहा है।
डीएनए की खबर के अनुसार भारतीय ब्राह्मण समाज के राष्ट्रीय सचिव नेमि नाथ चतुर्वेदी ने कोर्ट में फिल्म के सर्टिफिकेट को कैंसल करने की मांग वाली याचिका दायर की थी। नेमिनाथ का कहना था कि फिल्म में कुछ आपत्तिजनक संवाद हैं, जो समाज में अफवाह और जातिगत नफरत फैला रहे हैं।
याचिका में शीर्षक को बताया था गलत : याचिका में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को फिल्म के टाइटल के संबंध में बनारस मीडिया वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए सर्टिफिकेट को रद्द करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में दावा था कि सरकार के अनुमोदन के बिना और व्यक्तिगत या व्यावसायिक लाभ के लिए फिल्मों के शीर्षक के लिए भारत के संविधान के आर्टिकल्स का उपयोग करना अवैध है।
भ्रम फैला रहा है शीर्षक: याचिका में कहा गया कि फिल्म का शीर्षक फिल्म के आर्टिकल-15 के कारण इसके मूल के बारे में सार्वजनिक धारणा को गंभीर नुकसान होने की संभावना है। जो प्रतीक और नाम (अनुचित उपयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950 की धारा 3 के तहत गलत है।