पंजाब कांग्रेस की उठापटक और खींचतान के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद राजस्थान कांग्रेस में भी सियासी चर्चाएं तेज हो गई हैं। पंजाब और राजस्थान के राजनीतिक हालात काफी अलग हैं, लेकिन ताकतवर माने जाने वाले मुख्यमंत्री को हटाए जाने के बाद सियासी नरेटिव बदल गया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विरोधी खेमे को पंजाब के घटनाक्रम से मनोवैज्ञानिक ताकत मिल गई है। पंजाब के बदलाव ने कई सियासी धारणाओं को भी बदल दिया है।
राजनीति प्रेक्षक पंजाब के घटनाक्रम का राजस्थान कांग्रेस की सियासत पर असर पड़ने की पूरी संभावना जता रहे हैं। सचिन पायलट खेमे के सामने अब उनकी मांग के हिसाब से सत्ता संगठन से जुड़े बदलाव वाले फैसले करवाने की संभावनाएं बनी हैं। सचिन पायलट लगातार दिल्ली के नेताओं से संपर्क में हैं। राजस्थान में सत्ता और संगठन में होने वाले बदलावों में पंजाब के घटनाक्रम का असर जरूर देखने को मिलेगा। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर को मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद यह साफ मैसेज भी गया है कि गांधी परिवार हद से ज्यादा किसी नेता को न प्रोटेक्ट करेगा और न दबाव में आएगा।
हरीश चौधरी का नए पावर सेंटर के रूप में उभार
पंजाब के घटनाक्रम से राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के नए पावर सेंटर बनकर उभरने के संकेत मिल रहे हैं। अजय माकन के साथ हरीश चौधरी को पंजाब में नए मुख्यमंत्री के चयन के लिए ऑब्जर्वर बनाकर भेजने से यही मैसेज गया है कि हरीश चौधरी की दिल्ली पर पकड़ बरकरार है। हरीश चौधरी पंजाब कांग्रेस के प्रभारी रह चुके हैं, इसलिए उन्हें पंजाब की सियासत की बारीकी से पकड़ है। हरीश चौधरी को आगे चलकर पंजाब का प्रभारी बनाए जाने की भी चर्चाएं हैं।
राजस्थान में पंजाब के घटनाक्रम का असर दिखेगा
पंजाब के घटनाक्रम का असर राजस्थान कांग्रेस में आगे आने वाले दिनों में सत्ता संगठन में बदलाव में भी पड़ना तय माना जा रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार, राजनीतिक नियुक्तियों और जिलाध्यक्ष-ब्लॉक अध्यक्षों की नियुक्ति में गहलोत पायलट खेमों के बीच पावर बैलेंस के हिसाब से बंटवारा किया जा सकता है। राजस्थान और पंजाब के हालात में जो अंतर है, वह मुख्यमंत्री के पास विधायकों की संख्या का है, राजस्थान में अब तक नंबर गेम गहलोत के पक्ष में है।
असंतुष्ट नेता ज्यादा मुखर होंगे
पंजाब के घटनाक्रम से कांग्रेस के साइडलाइन चल रहे कई असंतुष्ट नेताओं को फिर से सक्रिय होकर विरोध करने की ताकत दे दी है। कांग्रेस में पिछले ढाई साल से जो नेता यह मानकर चल रहे थे कि मुख्यमंत्री को पूरी तरह फ्री हैंड है, पंजाब के घटनाक्रम ने उस धारणा को तोड़ दिया है। इस वजह से मुख्यमंत्री विरोधी धड़ा ज्यादा ताकत से मुखर होकर सामने आएगा। आने वाले दिनों में कई नेताओं की दिल्ली दौड़ देखने को मिल सकती है।