कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए सरकार ने कारोबारियों जीएसटी रिटर्न भरने में देरी पर जुर्माने से राहत दी है। कारोबारियों व उद्यमियों की तरफ से जीएसटी रिटर्न फाइल करने की अवधि को बढ़ाने की मांग की जा रही थी। वित्त मंत्रालय की तरफ से फिलहाल कारोबारियों को मार्च और अप्रैल के जीएसटी रिटर्न में देरी पर लगने वाले ब्याज व लेट फीस से राहत दी गई है। मंत्रालय के मुताबिक जिन कारोबारियों का सालाना कारोबार पांच करोड़ से अधिक का है उन्हें जीएसटी रिटर्न भरने की आखिरी तारीख से लेकर अगले 15 दिनों तक 18 फीसद की जगह सिर्फ नौ फीसद की दर से शुल्क देना होगा। उसके बाद रिटर्न भरने पर उन्हें 18 फीसद की दर से शुल्क देना होगा।
कंपोजीशन स्कीम में शामिल कारोबारियों को भी अपने त्रैमासिक जीएसटी रिटर्न भरने में देरी पर राहत दी गई है। निर्धारित तारीख से 15 दिनों तक की देरी से रिटर्न भरने पर उन्हें कोई कोई ब्याज नहीं देना होगा।
मंत्रालय के अनुसार सालाना पांच करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाले कारोबारियों को मार्च और अप्रैल की जीएसटी रिटर्न की आखिरी तारीख से अगले 15 दिनों तक रिटर्न दाखिल करने पर कोई ब्याज नहीं देना होगा। उसके अगले 15 दिनों तक उन्हें नौ फीसद की दर से ब्याज देना होगा। उससे और अधिक देरी होने की सूरत में कारोबारियों को 18 फीसद की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा।
कंपोजीशन स्कीम में शामिल कारोबारियों को भी अपने त्रैमासिक रिटर्न भरने में देरी पर राहत दी गई है। निर्धारित तारीख से 15 दिनों तक की देरी से रिटर्न भरने पर उन्हें कोई कोई ब्याज नहीं देना होगा। उसके अगले 15 दिनों तक नौ फीसद और उससे अधिक देर होने पर 18 फीसद की दर से भुगतान करना होगा। वैसे ही पांच करोड़ से अधिक का कारोबार करने वाले कारोबारियों को जीएसटी रिटर्न भरने की आखिरी तारीख से अगले 15 दिनों तक रिटर्न भरने पर कोई लेट फीस का भुगतान नहीं करना होगा। उसके बाद उन्हें लेट फीस देनी होगी। पांच करोड़ से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को रिटर्न भरने की आखिरी तारीख से एक महीने तक कोई लेट फीस का भुगतान नहीं करना होगा।
इस मामले में जीएसटी विशेषज्ञ एवं सीए प्रवीण शर्मा ने बताया कि मार्च के लिए जीएसटी रिटर्न भरने की आखिरी तारीख 20 अप्रैल थी। कारोबारियों को सिर्फ 15 दिनों की राहत दी गई है जो पांच मई होती है। लेकिन कोरोना की लहर को देखते हुए कई कारोबारी इस तिथि तक भी रिटर्न भरने में सक्षम नहीं हो पाएंगे क्योंकि इस समय अधिकतर लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोरोना संकट से जूझ रहे हैं। कई राज्यों में लॉकडाउन लगने से कारोबारियों व जीएसटी पेशेवरों के दफ्तर भी नहीं खुल रहे हैं।