मप्र : गुजरात की वेल्जी रत्न एंड कंपनी ने बिचौलिए मनीष के खातों में ट्रांसफर किए थे 3 करोड़ 33 लाख रुपए

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भोपाल. हमेशा डरते रहने से अच्छा है कि एक खतरे का सामना कर लिया जाए। कुछ ऐसी फिलॉसफी लिख रखी है मनीष ने अपनी फेसबुक वॉल पर। ई-टेंडर घोटाले के मास्टरमाइंड और बिचौलिए की भूमिका में सामने आए मनीष खरे फिलहाल जेल में है। जांच एजेंसी ईओडब्ल्यू को मनीष के बैंक खातों में 2 करोड़ 83 लाख रुपए मिले हैं।

 

जांच में सामने आया है कि मनीष टेंडरों में टेंपरिंग कर अपनी पंसद के लोगों को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए टेंडर की कुल रकम का 1.5% कमीशन लेता था। जांच एजेंसी ने खुलासा किया है कि गुजरात के हरेश सोरठिया वेल्जी रत्न एंड कंपनी ने टेंडर दिलाने के बदले मनीष के बैंक खातों में 3 करोड़ 33 लाख रुपए कमीशन के ट्रांसफर किए थे।

 

बाद में सोरठिया के मांगने पर मनीष ने 50 लाख रुपए वापस भी किए थे। मनीष ने सोरठिया से 1.5 प्रतिशत कमीशन मांगा था, लेकिन सोरठिया ने एक प्रतिशत देना तय किया था। यानी सोरठिया ने 330 करोड़ रुपए के ई-टेंडर में टेंपरिंग कर एल-1 होने के लिए मनीष को 3 करोड़ 33 लाख रुपए कमीशन दिया था। जल संसाधन विभाग के टेंडर नंबर-1044 में सोरठिया वेल्जी एंड रत्ना कपंनी चौथे नंबर पर थी। इस टेंडर में टेंपरिंग से पहले न्यूनतम बिड वेल्यू 116 करोड़ थी, जिसमें टेंपरिंग के बाद वेल्जी कंपनी एल-1 होकर पहले नंबर पर आ गई और उसे टेंडर मिल गया।

 

पॉश कॉलोनी में मकान, तीसरी मंजिल पर स्वीमिंग पूल : हाईप्रोफाइल लोगों से सांठगांठ कर उनसे दोस्ती करने और ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के शौकीन मनीष का चूनाभट्‌टी स्थित अमलतास फेज-3 में 15 नंबर आलीशान बंगला है। मकान के तीसरे फ्लोर पर स्वीमिंग पूल भी बना हुआ है।

 

महंगी गाड़ियों के शौकीन मनीष की 3 शैल कंपनियां हैं : मनीष ने 2015 में माइल स्टोन बिल्डर्स एंड डेवलपर्स, माइन स्टोन इंपोर्ट एंड एक्सपोर्ट, माइन स्टोन मार्केट एंड डेवलपर नाम की तीन कंपनियां बनाई थीं। इसके बाद 2016 में वह ऑस्मो आईटी कंपनी के संपर्क में आया और इसके बाद उसके दिमाग में टेंडरों में टेंपरिंग की बात आई।

 

अनसुलझे सवाल… कोर्ट में चालान पेश हो जाने के बाद भी कई जवाब अभी बाकी : ईओडब्ल्यू ने शनिवार को विशेष अदालत में 7 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश तो कर दिया, लेकिन अभी भी कई ऐसे सवाल बाकी हैं जिनके जबाव आना हैं। {ईओडब्ल्यू ने मनीष के मोबाइलों की कॉल डीटेल निकाली। वह ई-टेंडर घोटाले को लेकर जिन अधिकारियों से संपर्क में था, उनके नाम का खुलासा क्यों नहीं किया गया? नोटल अधिकारी नंनद किशोर ब्रम्हे के अलावा अन्य विभागों के अधिकारियों की भूमिका होने के बाद भी उनके नाम चालान में क्यों नहीं हैं? {जांच एजेंसी नेताओं और माफियाओं के नाम सामने लाने से क्यों बच रही है? {मनीष ने अहमदाबाद, हैदराबाद और भोपाल की जिन एजेंसियों को टेंपरिंग कर एल-1 कैटेगरी में टेंडर दिलाए उनके नाम सामने क्यों नहीं लाए गए?

 

8वीं पास मनीष बेटों को पढ़ा रहा था नैनीताल में : 2005 में कामधेनु कॉम्पलेक्स में स्क्रीन प्रिंटिंग और कम्प्यूटर सुधारने की दुकान से शुरुआत करने वाले मनीष की लाइफ स्टाइल  देखने लायक है। वह खुद को सेंट जेवियर स्कूल, रांची का विद्यार्थी के साथ ही आईआईटी कानपुर का छात्र बताने वाला मनीष वास्तव में 8वीं पास है, लेकिन उसने दोनों बेटों का एडमिशन नैनिताल के उसी शेरवुड स्कूल में कराया था, जिसमें अमिताभ बच्चन पढ़ चुके हैं। उसकी फेसबुक प्रोफाइल में भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के अलावा पुलिस और प्रशासन से जुड़े चर्चित चेहरे देखे जा सकते हैं।

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