- CN24NEWS-29/06/2019
- न अलगाववाद और न टेरर फंडिग से समझौता, केवल अमन व विकास की बात होगी
- आतंकियों के हाथ मारे गए लोगों को सम्मानित कर लगाया कश्मीरियों पर मरहम
मिशन कश्मीर के अपने पहले दौरे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कश्मीर के प्रति अपना एजेंडा साफ कर दिया। न तो अलगाववाद और न ही टेरर फंडिंग से किसी प्रकार का समझौता होगा, केवल और केवल अमन, शांति तथा विकास प्राथमिकता होगी। आतंकियों के हाथों मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवार को आर्थिक मदद तथा हमले में शहीद एसएचओ के घर जाकर उन्होंने कश्मीरियों के दर्द पर मरहम लगाने की कोशिश की। यह संदेश देने का प्रयास किया कि केंद्र की मोदी सरकार ऐसे लोगों के साथ हर सुख-दुख की घड़ी में है।
- पिछले कुछ दिनों से अलगाववादियों की ओर से बातचीत की पहल किए जाने का राग अलापा जा रहा था। राज्यपाल ने भी यह कहा था कि हुर्रियत के रुख में बदलाव आया है। ऐसे में यह माना जा रहा था कि पहले दौरे में गृह मंत्री इस दिशा में कुछ संकेत दे सकते हैं।लेकिन अपने कड़े रुख के लिए चर्चित अमित शाह ने साफ कर दिया कि भारत विरोधी अभियान के लिए कश्मीर में अब कोई जगह नहीं है। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसा कहकर उन्होंने अलगाववादियों को साफ संदेश देने की कोशिश की कि यहां से अलगाववाद की बात को स्वीकार नहीं किया जाएगा।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आतंकियों के हाथों मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के परिवार को आर्थिक मदद तथा हमले में शहीद एसएचओ के घर जाकर गृह मंत्री ने कश्मीरियों का दिल जीतने की कोशिश की। साथ ही यह संदेश भी देने का प्रयास भी किया कि आतंकवाद से कुछ नहीं हासिल होने वाला, सिवाय बर्बादी के।
पिछले तीन दशकों में बच्चे यतीम हुए, मां-बाप बेसहारा हुए तथा महिलाएं विधवा बनीं। यह कोशिश रही कि इसी के जरिये आम लोगों तक यह संदेश पहुंचे कि केंद्र सरकार नहीं चाहती है कि यहां खून खराबा हो, अशांति रहे बल्कि वह अमन व विकास चाहती है।
लोकतंत्र की बुनियाद को मजबूत करने पर जोर
गृह मंत्री ने राज्य में अंतिम स्तर तक विकास की किरण पहुंचे इसके लिए पंच सरपंचों से मिलकर सीधे तौर पर विकास का हाल जानने की कोशिश की। दौरे के दौरान ही राज्य सरकार ने ब्लाक डेवलपमेंट कौंसिल (बीडीसी) के गठन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी जताई जिससे त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था को न केवल बल मिला बल्कि लोकतंत्र की बुनियाद भी मजबूत करने का संदेश गया।माना जा रहा है कि केंद्र सरकार पंचायत को देश के अन्य राज्यों की तरह मजबूत देखना चाहती है। ज्ञात हो कि पहले पंचायतों के चुनाव तो हुए थे, लेकिन बीडीसी का गठन नहीं हो पाया था। इसके लिए पंचायत प्रतिनिधियों की ओर से लंबे समय से मांग उठाई जा रही थी।