झारखंड में 5000 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी करने वाली चिटफंड कंपनियों के खिलाफ जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) को कई अहम जानकारियां मिली हैं। ईडी 30 कंपनियों के 34 निदेशकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच में जुटी हुई है। अबतक की जांच में पता चला है कि 20 से अधिक चिटफंड व नॉन-बैंकिंग कंपनियों ने विदेश में करीब 500 करोड़ रुपए से ज्यादा राशि का निवेश किया है। जांच के दौरान ईडी को जो दस्तावेज हाथ लगे हैं, उसकी सहायता से ईडी, निवेशक और राशि निवेश करने वाली कंपनियों की विस्तृत जानकारी एकत्रित करने में जुट गई है।
विदेश मंत्रालय के इकोनॉमिक्स ऑफेंस विंग से भी मदद लेगा ईडी
विदेश की किस कंपनी में किसने, कितना और कब निवेश किया है, इसकी पूरी जानकारी एकत्रित करने में ईडी विदेश मंत्रालय के इकोनॉमिक ऑफेंस विंग से भी मदद लेगा। हालांकि ईडी ने इसकी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की है। इसी मामले में सीबीआई पहले से ही सभी कंपनियों के खिलाफ जांच कर रही है। सीबीआई के अनुसंधान में ठगी की बात सामने आने के बाद ईडी ने पूरे मामले में मनी लॉड्रिंग को लेकर अलग से प्राथमिकी दर्ज की थी। दिल्ली में ईडी की ओर से एफआईआर दर्ज कर पूरे मामले में अनुसंधान की जिम्मेदारी रांची और पटना की ईडी टीमों को दी गई है।
जनता के 25 हजार करोड़ फंसे
झारखंड अगेंस्ट करप्शन की ओर से दायर जनहित याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया गया था कि नॉन-बैंकिंग कंपनियां किस प्रकार चिटफंड स्कीम चलाकर लोगों की राशि लेकर चंपत हो जा रही हैं। इन्हें प्रशासन का भी सहयोग मिलता है। कोर्ट के समक्ष सभी दस्तावेज पेश किए गए थे। एलकेमिस्ट कंपनी ने अकेले ही 16 सौ करोड़ रुपए से अधिक जनता से वसूले हैं। जबकि सभी मामलों को मिला दिया जाए तो यह राशि 25 हजार करोड़ तक हो सकती है। इस कारोबार के तार विदेशों तक जुड़े हैं। इसलिए सीबीआई के साथ-साथ ईडी, इनकम टैक्स से भी जांच की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया और जांच के आदेश दिए थे।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन कंपनियों के खिलाफ दर्ज की एफआईआर
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