खूंटी. पत्थलगड़ी से चर्चा में आए खूंटी के घाघरा गांव में बुधवार को पत्थलगड़ी की पहली वर्षगांठ मनाई गई। पत्थलगड़ी को सजाया-संवारा गया और नए बांस-बल्ली लगाए गए। अगरबत्ती जलाकर पूजा की गई। समारोह के दौरान सैकड़ों महिला-पुरुष मौजूद थे। हालांकि, यह सब गुपचुप तरीके से हुआ।
पिछले वर्ष घाघरा के पास के गांव कुदाडीह-मदगड़ा में भी पत्थलगड़ी की गई थी, लेकिन वहां वर्षगांठ नहीं मनाई गई। इधर, खूंटी के ही सेतागड़ा गांव में गुरुवार को वर्षगांठ मनाए जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है। दो दिन पहले ही पत्थलगड़ी समर्थकों ने पत्थलगड़ी को सजाने और नए बांस-बल्ली लगाने का काम पूरा कर लिया है।
इस संबंध में पूछे जाने पर किसी भी ग्रामीण ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। घाघरा में पत्थलगड़ी की वर्षगांठ मनाए जाने के बारे में पूछने पर खूंटी पुलिस ने बताया कि उसे ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है।
घाघरा वही गांव है, जहां पिछले साल पत्थलगड़ी के समर्थकों ने पुलिस के साथ झड़प की थी। दूसरे दिन पूर्व सांसद कड़िया मुंडा के घर पत्थलगड़ी समर्थकों ने हमला कर दिया था। साथ ही तीन हाउस गार्ड और जिला पुलिस के एक जवान का अपहरण कर लिया था।
अब बात पत्थलगड़ी की करें तो यह आदिवासियों की एक प्राचीन परंपरा है। इसमें मौजा, सीमाना, ग्रामसभा और अधिकार की जानकारी रहती है। इसके अलावा वंशावली, पुरखे तथा मृत व्यक्ति की याद संजोए रखने के लिए भी पत्थलगड़ी की जाती है। कई जगहों पर अंग्रेजों–दुश्मनों के खिलाफ लड़कर शहीद होने वाले वीर सूपतों के सम्मान में भी पत्थलगड़ी की जाती रही है। लेकिन, अब इसी परंपरा का सहारा ले कुछ देशविरोधी आपराधिक तत्व अपना मंसूबा साधने में जुटे हैं।