पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को लेकर केरल हाई कोर्ट ने सख्त रूख अपना लिया है. हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को पीएफआई की हड़ताल के बाद राज्य भर में दर्ज सभी मामलों में पीएफआई के प्रदेश महासचिव ए अब्दुल सत्तार को अतिरिक्त आरोपी बनाने का निर्देश दिया है.दरअसल, केरल हाई कोर्ट ने पीएफआई और उसके राज्य महासचिव ए अब्दुल सत्तार के खिलाफ राज्य में हड़ताल बुलाने के खिलाफ स्वतः संज्ञान लिया था. गिरफ्तार अब्दुल सत्तार को इस दौरान केरल पुलिस ने एनआईए को सौंप दिया है. एनआईए लगातार पीएफआई को लेकर जांच कर रही है और देश भर में छापेमारी अभियान चला रही है.
सत्तार से कोच्चि में विस्तार से पूछताछ की जाएगी. सत्तार उस मामले में भी आरोपी थे, जहां हड़ताल बुलाई गई थी. सत्तार को करुणागपल्ली में करुणा ट्रस्ट कार्यालय में हिरासत में लिया गया है. सत्तार ने फेसबुक पोस्ट कर कहा था कि पीएफआई के सभी सदस्यों और आम जनता को जानकारी दी जाती है कि Popular Front of India को भंग कर दिया गया है. पोस्ट करते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.
वहीं, हड़ताल के दौरान कोर्ट ने पीएफआई को हड़ताल के दौरान हुई तोड़ फोड़ और नुकसान को लेकर केरल राज्य परिवहन निगम को 5.6 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को बैन कर दिया है. इतना ही नहीं पीएफआई के 8 सहयोगी सगठनों पर भी 5 साल के लिए प्रतिबंध लगाया गया है.लगातार हो रहे एक्शन के खिलाफ अब पीएफआई सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है. बुधवार को सरकार ने पीएफआई और सहयोगी संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था. इसके साथ ही PFI के ट्विटर अकाउंट पर प्रतिबंध लगाया गया है. यही कारण है कि संगठन से जुड़े लोग अब कानूनी राहें तलाश रहे हैं