रेलवे ने कहा है कि कोरोना के सामान्य मरीजों के उपचार के वास्ते देश के सात राज्यों के 17 स्टेशनों पर आइसोलेशन डिब्बों को तैनात किया गया है। उसने कहा कि फिलहाल विभिन्न राज्यों को 298 डिब्बे सौंपे गये हैं और उनमें 4700 से अधिक बेड हैं।रेलवे के अनुसार महाराष्ट्र में कुल 60 डिब्बे तैनात किए गए हैं और नंदुरबार में 116 मरीज भर्ती किये गये एवं ठीक होने पर राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों ने उन्हें छुट्टी दे दी। फिलहाल 23 मरीज उनका उपयोग कर रहे हैं।रेलवे ने यह भी कहा कि उसने 11 कोविड केयर डिब्बे राज्य के इनलैंड कंटेनर डिपो में तैनात किये हैं और उन्हें नागपुर नगर निगम को सौंपा गया हं। वहां नौ मरीज भर्ती किये गये और आइसोलेशन के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गयी।
भारतीय रेलवे ने बताया है कि कोरोना संकट काल में मदद के लिए देश के सात राज्यों के 17 स्टेशनों पर आइसोलेशन डिब्बों को तैनात किया गया है। इन डिब्बों में आइसोलेट किए गए मरीजों के लिए 4700 से अधिक बेड हैं।
फिलहाल पालघर में 24 डिब्बे प्रदान किये गये और उन्हें उपयोग मे लाया जा रहा है।इसी तरह मध्यप्रदेश में 42 ऐसे डिब्बे तैनात किये गये हैं। पश्चिम रेलवे के रतलाम संभाग ने इंदौर के पास तिही स्टेशन पर 22 डिब्बे तैनात किए हैं जिनमें 320 बिस्तर हैं। वहां 21 मरीज भर्ती किये गये और सात को अब तक छुट्टी दी गई। भोपाल में 20 ऐसे डिब्बे तैनात किये गये हैं जिनमें 29 मरीज भर्ती किये गये और 11 को बाद में छुट्टी दे दी गयी।रेलवे ने बताया कि उसने असम के गुवाहाटी में 21 और सिलचर के समीप बदरपुर में 20 ऐसे डिब्बे तैनात किये। दिल्ली में उसने 75 ऐसे डिब्बे प्रदान किये जिनमें 1200 बेड हैं।
रेलवे ने एक दिन में पहुंचाईसर्वाधिक 718 टन आक्सीजन
रेलवे ने शनिवार को कहा कि उसने 19 अप्रैल से अब तक विभिन्न राज्यों में 220 टैंकरों के माध्यम से करीब 3400 टन तरल चिकित्सकीय आक्सीजन पहुंचाई है। शनिवार को रेलवे ने 718 टन आक्सीजन पहुंचाई जो अब तक एक दिन में सबसे अधिक मात्रा है। रेलवे की ओर से बताया गया कि अब तक 54 आक्सीजन ट्रेनों ने अपना सफर तय किया है। दिल्ली में 1427 टन, महाराष्ट्र में 230 टन, उत्तर प्रदेश में 968 टन, मध्य प्रदेश में 249 टन, तेलंगाना में 123 टन और राजस्थान में 40 टन तरल आक्सीजन पहुंचाई गई। फिलहाल 26 टैंकर 417 टन तरल लेकर दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जा रहे हैं।रेलवे ने कहा कि नई आक्सीजन एक्सप्रेस (ट्रेनें) चलाना बहुत तत्परता का काम है। हर वक्त आंकड़ों को अद्यतन किया जाता है। रात के समय में अधिक आक्सीजन एक्सप्रेस चलने की संभावना है। रेलवे ने पिछले महीने आक्सीजन की ढुलाई शुरू की थी।