सिब्बल की डिनर-डिप्लोमैसी में लालू भी साथ, कयासबाजी तेज

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के दिल्ली स्थित आवास पर सोमवार रात 15 पार्टियों के लगभग चार दर्जन नेता जुटे। इस रात्रि भोज में RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी शामिल हुए। बैठक बिहार के लिए भी मायने रखती है। बीमारी और जेल से बेल के बाद लालू प्रसाद पहली बार इतनी बड़ी बैठक में भाग लेने गए थे। इधर, बिहार में लालू प्रसाद के समर्थकों को लगने लगा है कि अब लालू प्रसाद जल्द पटना भी आएंगे। सबसे बड़ी बात इस बैठक की यह रही कि इसमें सोनिया, राहुल या प्रियंका में से कोई नहीं शामिल था।

भोज में शामिल होने के लिए जाते हुए अखिलेश यादव।
भोज में शामिल होने के लिए जाते हुए अखिलेश यादव।

कई नेता हुए शामिल

रात्रि भोज में राकांपा सुप्रीमो शरद पवार, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम, सपा नेता अखिलेश यादव, नेशनल कांफ्रेस के नेता उमर अब्दुल्ला, माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा नेता डी. राजा आदि नेता शामिल हुए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी भोज में शामिल नहीं हुए।

सोनिया के संकटमोचक रहे हैं लालू

बता दें कि विदेशी मूल के मसले पर जब पवार, संगमा जैसे दिग्गज नेताओं ने सोनिया गांधी का साथ छोड़ दिया था, तो लालू ही थे जो उनके समर्थन में आए थे। 2004 में यूपीए की सरकार बनवाने में भी लालू का योगदान था, जिसका फल भी उन्हें मिला और वह रेलमंत्री बने। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की अनदेखी कर किए गए इस डिनर में लालू का शामिल होना कई सवालों को जन्म देता है। क्या लालू समझ चुके हैं कि कांग्रेस का साथ छोड़ने का समय आ गया है और तीसरे मोर्चे की कवायद में साथ होना चाहिए?

BJP के खिलाफ रणनीति बनाने में लालू की बड़ी भूमिका

BJP के खिलाफ मोर्चा बनाने में लालू प्रसाद की बड़ी भूमिका होगी। वह पहले ही मुलायम सिंह यादव, शरद यादव और शरद पवार जैसे नेताओं से अलग-अलग मिल कर बातचीत कर चुके हैं। जानकारी है कि उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की बात चल रही है। इस मोर्च को इतना ताकतवर बनाने पर जोर है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को रोकने में कामयाब हो सके।

लालू प्रसाद के समर्थकों में काफी खुशी है कि वह अब पहले से काफी स्वस्थ हो गए हैं। समर्थक इसलिए भी काफी खुश हैं कि भाजपा की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ मजबूत और बड़ा मोर्चा बनाने की तैयारी हो रही है। लालू प्रसाद की गिनती भाजपा को रोकने वाले राष्ट्रीय स्तर के नेताओं में होती है। लालकृष्ण आडवाणी के रथ को रोककर और मंडल आयोग से जुड़े आरक्षण का समर्थक कर लालू प्रसाद ने भाजपा के खिलाफ अपनी बड़ी छवि बनाई थी।

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