जेल में लाठीचार्ज : 25 बंदी, चार पुलिसकर्मियों पर हत्या का केस; जेलर-अधीक्षक को शोकॉज नोटिस

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जमशेदपुर. घाघीडीह सेंट्रल जेल में पंकज दुबे और गैंगस्टर अखिलेश सिंह के गुर्गों के बीच खूनी संघर्ष मामले में बुधवार को जेल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी ने परसुडीह थाने में हत्या का केस दर्ज कराया। मामले में दोनों गुटों के 25 बंदी, चार जवान (कक्षपाल) समेत अन्य को आरोपी बनाया गया है। चारों कक्षपाल को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। डीसी अमित कुमार ने एडीसी और सिटी एसपी की टीम बनाकर मामले में सभी बिंदुओं पर जांच करने का आदेश दिया है।

दूसरी ओर, सेंट्रल जेल आईजी बीरेंद्र भूषण ने भी घाघीडीह जेल पहुंचकर मामले में छानबीन की। उन्होंने जेलर बालेश्वर सिंह और जेल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी को शोकॉज किया। साथ ही सहायक जेल अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा को निलंबित कर दिया। शैलेश उस वार्ड के प्रभारी हैं, जहां घटना की शुरुआत हुई थी। प्राथमिकी में कहा गया- जेल के अंदर टेलीफोन बूथ पर फोन करने को लेकर विवाद हुआ। दोनों गुटों में मारपीट की घटना के बाद अखिलेश सिंह गिरोह से जुड़े मनोज, सुमित, हरीश व अन्य को अाक्रोशित बंदियों और पुलिस ने पीटा। पिटाई से मनोज कुमार सिंह की मौत हुई। जेल में किसी कैदी से मिलने अाए परिजनों और अंदर जाने वाले सामानों को तीन बार चेकिंग की जा रही है।

पुलिस जवानों ने कैदियों के साथ कुछ ज्यादा ही मारपीट की : जेल आईजी
जेल में पगली घंटी बजने के बाद कक्षपाल (जेल आरक्षी) ने कुछ ज्यादा ही पिटाई कर दी। मनोज सिंह ने हेड जमादार शिवदत्त शर्मा की पिटाई कर दी थी, जिससे उनका हाथ टूट गया है। हेड जमादार को घायल देख कक्षपाल ज्यादा आक्रोशित हो गए। उन्होंने कैदियों की बेरहमी से पिटाई कर दी, जिसकी आवश्यकता नहीं थी। कम बल प्रयोग पर भी स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता था। कक्षपालों ने कुछ ज्यादा ही जोश दिखाया। इस कारण स्थित बिगड़ गई।

लाठी की मार से कैदी की मौत हुई, न्यायिक जांच हो: डीसी

डीसी अमित कुमार ने बताया कि घटना की प्रशासनिक जांच शुरू कर दी गई है। जांच रिपोर्ट आने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जेल में जिस कैदी मनोज सिंह की मौत हुई है उसकी लाठियों से पिटाई की गई है। उसके सिर पर 10 टांके मिले है। दंडाधिकारी की उपस्थिति में मृत कैदी का पोस्टमार्टम किया गया है।

जेल अधीक्षक बोलेदबंग कैदी दूसरे जेलों में शिफ्ट किए जाएंगे

मारपीट की घटना में शामिल अन्य दबंग कैदियों को दूसरे जेलों में शिफ्ट किया जाएगा ताकि घाघीडीह केंद्रीय कारा में शांति कायम रह सके। दबंग कैदियों की सूची बनाकर उन्हें शिफ्ट करने का प्रस्ताव डीसी के मार्फत भेजेंगेे।

कमजोर खुफिया तंत्र के कारण हुई घटना

जमशेपुर पहुंचे जेल आईजी ने बीरेंद्र भूषण ने कहा कि जेल अधीक्षक सत्येंद्र चौधरी व जेलर बालेश्वर सिंह को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। प्रथमदृष्टया दोनों अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। घटना के समय दोनों अधिकारी जेल में नहीं, अपने आवास पर थे। पगली घंटी बजने के बाद दोनों अधिकारी जेल परिसर पहुंचे। अगर दोनों अधिकारियों ने तत्परता दिखाई होती तो घटना भयावह नहीं होती। उसे ‘मिनीमाइज’ किया जा सकता था। जेल के अंदर दोनों अधिकारियों का खुफिया तंत्र कमजोर होने के कारण यह घटना घटी। जेल में पहले से दो गुट हैं और पूर्व में भी जेल परिसर में हत्या हो चुकी थी तो इन दोनों अधिकारियों के पास इस बात की जानकारी होनी चाहिए थी। जेल अधीक्षक का जवाब संतोषजनक नहीं रहा तो उनके तबादले की अनुशंसा गृह विभाग से की जाएगी।

पिटाई से बचने के लिए वार्ड में छिप गया था मनोज

मुझे 25 जून शाम 4.45 बजे फोन पर सूचना मिली कि कारा के अंदर दो गुटों में मारपीट  हो रही है। कारा गेट पर पहुंचा, तब तक कारापाल बालेश्वर प्रसाद सिंह एवं नव प्रोन्नत कारापाल अजय श्रीवास्तव भी अा गए। अंदर जाने पर देखा- कारा के भीतर गेट से लेकर गुमटी तक लगभग 700-800 बंदी उग्र थे। वे मारपीट करने वाले हरीश सिंह और उसके साथियों को खोज रहे थे। हरीश सिंह गुट का बंदी मनोज सिंह मारपीट के भय से सेक्टर अारुणि के ऊपरी तल्ले में जाकर छिप गया। इसका पता चलने पर लगभग 15 सजायाफ्ता कैदी एवं कक्षपाल वहां पहुंचे और लाठी-डंडे से बुरी तरह पीटकर मनोज को घायल कर दिया। कारा अस्पताल में घायल मनोज सिंह तथा सुमित सिंह की गंभीरता को देखते हुए एमजीएम भेजा गया। वहां मनोज सिंह की मौत हो गई।

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