नई दिल्ली. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के लिए प्रस्ताव पेश किया। इस दौरान शाह ने कहा कि रमजान, अमरनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने बाद में चुनाव कराने का सुझाव दिया है। इस साल के अंत तक वहां चुनाव कराए जाएंगे। शाह ने कश्मीर में सीमा के पास रहने वाले लोगों को आरक्षण देने का प्रस्ताव भी रखा।
शाह ने कहा, ‘‘विधायकों की खरीद-फरोख्त की शिकायत के बाद राज्यपाल ने 21 नंवबर 2018 विधानसभा को भंग कर दिया था। 20 दिसंबर 2018 से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। इसे 3 जनवरी 2019 राज्यसभा से मान्यता प्राप्त हुई। 2 जुलाई को राष्ट्रपति शासन खत्म हो रहा है। ऐसे में मेरी आपसे मांग है कि इसे छह महीने के लिए बढ़ाया जाए।’’
‘कश्मीर में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाई’
गृहमंत्री ने कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में यह पहली बार नहीं है कि यहां राज्यपाल या राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। कई बार ऐसी स्थिति बनी है कि कानून में संशोधन किया गया। राज्य में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। सरकार ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक साल के अंदर वहां पंचायत चुनाव कराए गए। 40 हजार पंच और सरपंच बने, जो आज काम कर रहे हैं। हम 3 हजार करोड़ रुपए पंचायतों को देने के लिए तैयार हैं।’’
‘मोदी सरकार ने जम्मू और लद्दाख के क्षेत्र को बराबर अधिकार दिया’
शाह ने कहा, ‘‘राज्य में कई बार रक्तरंजित चुनाव देखे गए, लेकिन लोकसभा चुनाव में एक भी व्यक्ति की जान नहीं गई। मोदी सरकार ने जम्मू और लद्दाख के क्षेत्र को बराबर अधिकार दिया। 2018 में सालों से लंबित मामलों को निपटाने का काम किया गया। राष्ट्रपति शासन के एक साल में राज्य में शरणार्थियों के मसले, बंकर तैयार करने का काम हुआ। 15 हजार में से करीब 3 हजार बंकर बन चुके हैं। हमारे लिए सीमा पर रहने वाले हर नागरिक की जान कीमती है।’’
सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान
शाह ने कहा, ‘‘हमने जम्मू-कश्मीर के लिए आरक्षण कानून में संशोधन के तहत राज्य के कमजोर, पिछड़ा वर्ग और अंतराष्ट्रीय सीमा के करीब रहने वाले लोगों के लिए नए सिरे से आरक्षण का प्रावधान किया है। नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रहने वाले लोगों को शेल्टर होम में रहना पढ़ता है। कई दिनों तक बच्चों को यहां रहना पड़ता है। स्कूल बंद रहते हैं। उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। इसलिए उन्हें आरक्षण दिया जा रहा है। इससे जम्मू-कश्मीर के साढ़े तीन लाख लोगों को फायदा होगा। यह आरक्षण कानून में संशोधन का प्रस्ताव किसी को खुश करने के लिए नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर के आसपास रहने वाले लोगों के हितों के लिए है।’’
आरक्षण संशोधन बिल लोकसभा में पेश हुआ था
पिछले दिनों केंद्रीय राज्य गृहमंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल 2019 पेश किया था। इसके जरिए आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन किया जाएगा। बिल पास होने से अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले लोगों को भी आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। संशोधन के मुताबिक, एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास रहने वाले व्यक्ति अगर सुरक्षा कारणों से वहां से चले गए हों, तो उन्हें भी आरक्षण का फायदा मिल सकेगा।
कांग्रेस का विरोध
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव पर कांग्रेस ने विरोध किया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, ‘‘हमें आरक्षण पर आपत्ति नहीं है, लेकिन यह जिस तरीके से दिया जा रहा है, इस पर आपत्ति है। मैं भी सीमा क्षेत्र से ही आता हूं, इसलिए इसे अच्छे से समझ सकता हूं। आज जम्मू-कश्मीर में हर 6 महीने में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के हालात हैं तो इसकी जड़ें भाजपा-पीडीपी गठबंधन में थीं। आरक्षण सिर्फ चुनावी फायदे के लिए दिया जा रहा है।’’
‘‘आतंकवाद के खिलाफ जंग में हम आपके (सरकार) के साथ हैं। यह भी ध्यान रखना होगा कि आप आतंकवाद से तभी लड़ पाएंगे, जब कश्मीर के लोग आपके साथ होंगे।’’
दो दिन के कश्मीर दौरे पर गए थे शाह
अमित शाह बुधवार को जम्मू-कश्मीर के दो दिन के दौरे पर पहुंचे थे। गुरुवार को उन्होंने शहीद एसएचओ (थाना प्रभारी) अरशद खान के परिवार से मुलाकात की। खान 12 जून को अनंतनाग में हुए फिदायीन हमले में शहीद हुए थे। शाह ने कहा कि अरशद खान की वीरता और साहस पर पूरे देश को गर्व है। दौरे में शाह ने राज्य में ओवरऑल सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा की। अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की भी चर्चा की गई। यात्रा 1 जुलाई की शुरू हो रही है।