लेफ्टिनेंट कर्नल अभीत सिंह बाठ का अंतिम संस्कार आज अमृतसर में किया गया। उनका शव मंगलवार सुबह 11 बजे आदर्श नगर स्थित उनके घर पहुंचा। उन्हें राजकीय सम्मान के साथ दोपहर में अंतिम विदाई दी गई। लेफ्टिनेंट कर्नल को उनके बेटे अहरान ने मुखाग्नि दी। पठानकोट से उनके साथ पहुंचे आर्मी के कमांडेंट और अधिकारियों के अलावा जवानों ने उन्हें गार्ड ऑफ आनर दिया।मां बलविंदर कौर, पत्नी सुखप्रीत कौर, बेटे अहरान सिंह और भाई पुनीत ने लेफ्टिनेंट कर्नल बाठ को हाथ जोड़कर नमन किया। इसके बाद शवयात्रा शहीदां साहिब तक ले जाया गया। शहीदां साहिब पहुंचते ही पहले अंतिम अरदास की गई। इसके बाद आर्मी के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर और 21 गोलियों की सलामी देकर लेफ्टिनेंट कर्नल को विदाई दी। सांसद गुरजीत औजला और पार्षद विकास सोनी भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे।
अमृतसर में जन्मे और पढ़े लिखे
लेफ्टिनेंट कर्नल बाठ का जन्म और पढ़ाई अमृतसर में ही पूरी हुई। खालसा कॉलेज में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने आर्मी जॉइन कर ली। तभी से लेकर अब तक उन्होंने भारत के कई शहरों में अपनी सेवाएं दीं। फिलहाल वह पठानकोट के पास मामून कैंट में तैनात थे। जहां से वह 3 अगस्त को-पायलट जयंत जोशी के साथ प्रशिक्षण उड़ान पर गए थे, लेकिन हादसे का शिकार हो गए।
पिता भी लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से रिटायर थे
स्वर्गीय बाठ के पिता सर्वजीत सिंह बाठ भी सेना में ही थे, जिन्हें कई सैन्य मेडल से नवाजा गया था। आजादी से पहले उनका पैतृक गांव पाकिस्तान में था। पाकिस्तान से आने के बाद सर्वजीत सिंह ने आर्मी जॉइन कर ली और रिटायरमेंट के साथ ही वे अमृतसर में सैटल हो गए थे। कुछ साल पहले ही उनका देहांत हुआ था। इसके बाद अभीत की माता उनके साथ ही पठानकोट मामून कैंट में रहने के लिए चली गई थी। अभीत अपने पीछे मां, पत्नी सुखप्रीत और एक बेटा छोड़ गए हैं।
दो महीने की छुटि्टयां काटकर गए थे अभीत
अभीत मार्च में छुटि्टयों पर अपने पूरे परिवार के साथ रहने के लिए अमृतसर आए थे। पड़ोसियों ने बताया कि अभीत को कुत्तों का काफी शौक था। जब वह छुटि्टयों पर आए थे तो अपने जर्मन शैफर्ड डॉग को भी साथ लेकर आए थे।
ट्रेनिंग के दौरान क्रैश हुआ था हेलिकॉप्टर
3 अगस्त को 254 आर्मी एविएशन का HAL रुद्रा हेलिकॉप्टर ट्रेनिंग के दौरार उड़ान पर था। इसके पायलट को कम ऊंचाई पर उड़ाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा था। हेलिकॉप्टर ने मामून कैंट से 3 अगस्त की सुबह 10:20 बजे उड़ान भरी थी। रणजीत सागर डैम के ऊपर हेलिकॉप्टर काफी नीचे उड़ान भर रहा था, लेकिन इसी दौरान वह क्रैश हो गया और डैम में जा गिरा।
इसके बाद से ही झील में लापता को-पायलट जयंत जोशी को और हेलिकॉप्टर के मलबे को तलाशने के लिए जल सेना, थल सेना और वायु सेना ने अपनी पूरी ताकत झोंक रखी है। झील में अब तक के सबसे बड़े सेना के तलाशी अभियान में दिल्ली, मुंबई चंडीगढ़ और कोच्चि से विशेष गोताखोर शामिल हैं। अति आधुनिक मशीनरी और उपकरणों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।