लंपी वायरस से राजस्थान में लगा गायों की लाशों का ढेर

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राजस्थान में लंपी स्किन बीमारी से गोवंश दम तोड़ रहे हैं. इसका संक्रमण कई जिलों में तेज से फैल रहा है. लंपी से गायों की मौत का सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है. गायों में फैलने वाली लंपी डिजीज के संक्रमण के चलते गायों के लाशों के ढेर लग गए हैं और इससे फैल रही बदबू की वजह से आसपास रहने वाले लोगों का जीना दूभर हो गया है.वहीं लंपी स्किन डिजीज को लेकर राज्य सरकार भी अलर्ट मोड में आ गई है. इस बीमारी की अभी तक वैक्सीन उपलब्ध नही है. मृत गोवंश के निस्तारण के लिए खड्डे खोद कर उसमें गाढ़ा जा रहा है. वहीं दीपा राम राजपुरोहित ने बताया की लंपी स्किन डिजीज के संक्रमण फैलने के बाद पशु पालन के साथ दूध का व्यापार करने वाले परिवारों के सामने आर्थिक संकट आ गया है.  इस संक्रमण से अधिकतर थारपारकर नस्ल की गायों की मौत हो रही है, जिनकी कीमत 30 हजार से लगाकर 1 लाख 50 हजार रुपये से ज्यादा तक होती है. गायों की मौत के साथ दूध की बिक्री भी बंद हो गई हैं. आम लोगों मे इस बीमारी को लेकर डर फैल गया हैं पशुपालन करने वाले परिवारों पर दोहरी मार पड रही है. अब सरकार से उम्मीद है की सरकार मदद करेगी तो ही कुछ हो सकता है.

पशुपालन का काम करने वाले किसान इस संक्रमण के आगे बेबस नजर आ रहे हैं. ना तो इनकी कोई मदद हो रही है पशु पालन करने वाले गुमाना राम ने बताया कि हमारे परिवार का गुजर-बसर गायों के दूध पर ही था, लेकिन लंपी स्किन बीमारी के संक्रमण के बाद चार गायों की मौत हो गई है. वहीं अब लोगों ने दूध लेना भी बंद कर दिया है मानो जैसे एक संकट के दौर से गुजर रहे हैं. वहीं दुकानदार रामकिशोर पुंगलिया ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से डिब्बा बंद दूध की डिमांड ज्यादा बढ़ गई है. हर कोई डिब्बाबंद दूध की खरीदारी कर रहे हैं, क्योंकि गायों में फैली बीमारी इसे हर कोई डरा हुआ है. पहले की बात करें तो कभी कभी ही डिब्बाबंद दूध बिकता था अब तो हर कोई सूखे पाउडर दूध की मांग कर रहा है.

जोधपुर से 50 किलोमीटर दूर तिंवरी के पास घेवड़ा गांव में बनी गोशाला में 1200 गाय थीं. इनमें से 300 से अधिक गाय में संक्रमण फैल गया उसी के साथ ही हर घंटे जैसे एक गाय यहां पर दम तोड़ती नजर आई. पिछले कुछ दिनों में इस गोशाला में 200 गायों ने दम तोड़ दिया है. ग्रामीण और गौशाला के लोगों ने बताया कि यहां पर सरकार की ओर से किसी भी तरह की मदद नहीं मिल पा रही है. ग्रामीण युवा टीम यहां पर लगातार काम कर रही है. वैसे इसकी वैक्सीन तो अभी तक उपलब्ध नहीं है, लेकिन गायों में इम्यूनिटी बूस्ट की जाए इसलिए बाजरे के आटे मे हल्दी और गुड़ मिलाकर उसमें एंटीबायोटिक दवा दी जा रही है. जिससे गायों में कुछ राहत मिले लेकिन गायों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा

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