राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमाे लालू प्रसाद यादव के समधी व हरियाणा के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कैप्टन अजय सिंह यादव बिहार में कांग्रेस व राजद के बीच पैदा हुई गठबंधन टूटने की नौबत से थोड़े परेशान हैं, मगर बदली परिस्थितियों में अपनी भूमिका को लेकर स्पष्ट हैं। कैप्टन अजय सिंह यादव का दो टूक कहना है कि सबसे पहले गठबंधन बरकरार रखने का प्रयास करेंगे, जिससे पंथ निरपेक्ष शक्तियों की शक्ति कमजोर न हो, मगर बात नहीं बनी तो रिश्तेदारी का सम्मान रखते हुए अपनी पार्टी कांग्रेस का सम्मान करेंगे। तेजस्वी व तेजप्रताप सहित समधी लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्य जहां-जहां चुनाव लड़ेंगे वहां पर कांग्रेस के पक्ष में प्रचार के लिए नहीं जाएंगे, लेकिन ड्यूटी लगने पर शेष बिहार में राजद का विरोध करने से नहीं हिचकेंगे।
कांग्रेस और राजद के बीच जंग पर कैप्टन अजय सिंह यादव का कहना है कि सबसे पहले गठबंधन बरकरार रखने का प्रयास करेंगे जिससे पंथ निरपेक्ष शक्तियों की शक्ति कमजोर न हो मगर बात नहीं बनी तो रिश्तेदारी का सम्मान रखते हुए अपनी पार्टी कांग्रेस का सम्मान करेंगे।
गठबंधन टूटने के पीछे साजिश
कैप्टन ने कहा कि अभी यह तय नहीं है कि गठबंधन पूरी तरह टूट जाएगा, क्योंकि पंथ निरपेक्ष ताकतों की एकता जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस समय हो रहे उपचुनाव के समय गठबंधन टूटने की वजह कुछ अलग है, जबकि आम चुनाव के समय परिस्थितियां अलग होंगी। उनका मानना है कि गठबंधन टूटने के पीछे एक बड़ी साजिश है। दोनों दलों को इससे बचना होगा। कन्हैया कुमार का नाम लिए बिना कहा कि कांग्रेस में युवाओं
को आगे लाना अच्छी बात है, मगर संकट के साथियों को कभी नहीं भूलना चाहिए। वह उचित माध्यम से अपने मन की बात पार्टी आलाकमान तक पहुंचाएंगे।
दामाद को गठबंधन बने रहने की उम्मीद
कैप्टन अजय सिंह यादव की तरह ही उनके बेटे चिरंजीव राव की राय है। लालू के दामाद चिरंजीव राव का कहना है कि उपचुनाव के बाद भी गठबंधन की उम्मीद बनी रहेगी। उनकी व उनके पिता की बिहार की राजनीति में कोई सीधी भूमिका नहीं है
प्रयास गठबंधन की डोर को टूटने से बचाने का रहेगा। उपचुनावों के बाद वह इस दिशा में प्रयास करेंगे। यहां बता दें कि कैप्टन यादव व कांग्रेस विधायक चिरंजीव राव बिहार विधानसभा के चुनावों में हर बार बिहार के लिए समय निकालते हैं। कांग्रेस व राजद के गठबंधन के कारण इनकी भूमिका सहज रही है, मगर अब दोनों को ही असहज होना पड़ेगा। देखना यह है कि आने वाले समय में कैप्टन व चिरंजीव की कथनी व करनी में अंतर नजर आएगा या फिर दोनों बिहार से दूरी बनाएंगे।