मक्का की समर्थन मूल्य पर हो खरीदी, CM को लिखा पत्र

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प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मक्का की फसल को समर्थन मूल्य पर खरीदने की मांग की है। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर मक्का को समर्थन मूल्य पर खरीदने के निर्देश देने की बात कही है। उन्होंने जिला कांग्रेस अध्यक्ष मानसिंह परसौदा की बात का हवाला देते हुए CM को पत्र लिखा है। गुना जिले में इस बार लक्ष्य से 219 प्रतिशत ज्यादा मक्का की बोवनी की गई है।

गुरुवार को CM को लिखे गए पत्र में दिग्गी ने लिखा- मानसिंह परसोदा, अध्यक्ष, जिला कांग्रेस कमेटी गुना द्वारा अवगत कराया गया है कि शासन द्वारा खरीफ फसल समर्थन मूल्य 2021 में ज्वार, बाजरा, धान को ही शामिल किया गया है, जबकि माध्यप्रदेश में मुख्य फसल मक्का है। इस वर्ष सोयाबीन के बीज की कमी होने के कारण किसानों द्वारा मक्का की फसल बोई गई है। श्री परसोदा ने शासन द्वारा इस वर्ष मक्का को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदने से किसानों को अत्याधिक हानि होने का उल्लेख करते हुए मक्का को भी समर्थन मूल्य पर खरीदे जाने का निवेदन किया है।

उन्होंने पत्र में आगे कहा कि अन्नदाता किसानों की मक्का की फसल को समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदे जाने से किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पडेगा। विगत दो वर्षों में भी आपके सीहोर जिले सहित पूरे मध्यप्रदेश में किसानों को सात सौ रुपये से लेकर एक हजार रुपये क्विंटल तक की कीमत में मक्का बेचना पड़ा था। लागत नहीं मिलने से किसानों की कमर टूट गई थी। इस वर्ष पुनः वही स्थिति निर्मित हो रही है। आपसे अनुरोध है कि मध्यप्रदेश में मक्का को समर्थन मूल्य पर खरीदने के निर्देश देते हुए दो वर्षों से शोषित किसानों को राहत प्रदान करने का कष्ट करें।

लक्ष्य से दोगुनी है बोवनी

इस बार सोयाबीन के बीज की किल्लत और मॉनसून तय समय से पहले आने के बाद काफी दिनों तक थमे रहने से सोयाबीन की बोवनी अटक गई थी। ज्यादातर किसानों ने मक्का की फसल की ओर रुख किया था। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार मक्के की बोवनी में काफी बढ़ोतरी हुई है। कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष मक्का का लक्ष्य लगभग 25 हजार हेक्टेयर रखा था। इस लक्ष्य पर बोवनी 55 हजार हेक्टेयर में की गई है। लक्ष्य की तुलना में 219 प्रतिशत की बोवनी किसानों ने की है। वहीं सोयाबीन की बोवनी में भारी कमी आई है। लगातार हो रही बारिश से सोयाबीन की फसल तो लगभग पूरी तरह बर्बाद हो गई है। केवल मक्का की फसल ही है जिससे किसानों को उम्मीद है।

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