पर्यटन मंत्रालय ने सुगंधा बत्रा को मैनेजर ऑफ द ईयर से किया सम्मानित

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सितंबर महीने के चौथे रविवार को प्रत्येक वर्ष अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य पूरी दुनिया में बेटियों को भी बेटे के समान ही महत्व और सम्मान दिया जाना है। यह दिन बेटियों को समर्पित होता है। आज जहां समाज के हर तबके में बेटियां अपनी हुनर से उपलब्धियां हासिल कर रही हैं वही समाज में कई विडंबनाए भी देखने को मिलती है।

आरा शहर के नाला मोड़ मुहल्ला निवासी सुगंधा बत्रा को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के तरफ से ट्रेनिंग मैनेजर ऑफ द ईयर-2021 के लिए अवार्ड से सम्मानित किया गया है। नोएडा सेंटर से 25 सितंबर को हुए ऑनलाइन कार्यक्रम में सुगंधा को यह अवार्ड प्रदान किया गया। वर्तमान में सुगंधा बत्रा बेंगलुरू में क्लस्टर मैनेजर के पद पर कार्यरत है।

सुगंधा बत्रा ने दसवीं की पढ़ाई डीएवी आरा से किया है। इंटरमीडिएट की पढ़ाई डीपीएस रांची एवं आईएचएम की पढ़ाई बैंगलोर से किया है। कवियित्री उर्मिला कौर उनकी दादी थी। पिता अंशु कौर आरा शहर में दवा दुकानदार हैं। सुगंधा बत्रा ने बताया कि मैं अपने घर में एकलौती हूं। पिता एवं मां राजुल कौर ने मुझे बेटा और बेटी दोनों का प्यार दिया। दादी की लिखी हुई पुस्तक से मैंने अपने जीवन में प्रेरणा लिया है।

बच्चियों को गोद लेने की क्या है प्रकिया

एडीसीपी ने बताया कि यदि कोई निसंतान दंपत्ति बच्चियों को गोद लेने की इच्छा रखता है तो उन्हें कुछ सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का अनुपालन करना होगा। सबसे पहले सेंट्रल एडॉप्शन रेगुलेटरी एजेंसी (सीएआरए) के पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा इसके बाद कुछ कागजी प्रक्रिया को पूरा करने के बाद वे बच्चियों को गोद ले सकते हैं। निसंतान दंपत्ति को यह सारी प्रक्रिया पूरी करने में अधिकतम 3 से 4 माह का समय लगता है। उन्होंने बताया कि भोजपुर, बक्सर एवं अरवल जिले के वैसे बच्चों एवं बच्चियों को विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान में रखा जाता है जिनके परिजन पैदा होते ही उन्हें भगवान भरोसे छोड़ देते हैं।

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दूसरी ओर समाज का एक और चेहरा देखने को मिलता है। बेटी होने के बाद कई लोग उसे झाड़ियों में फेंक देते हैं तो कई बेटियों की हत्या दुनिया में आने से पहले ही कर दी जाती है। आरा शहर के विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान में अभी 11 ऐसी बच्चियां हैं, जिनको जन्म होने के बाद उनके परिजनों ने झाड़ियों में फेंक दिया।

इनमें 8 बच्चियां बक्सर एवं तीन बच्चियां भोजपुर जिले के विभिन्न स्थानों से है। जिनको अभी विशेष दत्तक ग्रहण संस्थान में रखा गया है। एडीसीपी विनोद ठाकुर ने बताया कि इस वित्तीय वर्ष इस संस्थान में ऐसी 30 बच्चियों का लालन पोषण किया जा रहा था जिन्हें पैदा करते ही उनके परिजनों ने अभिशाप समझते हुए उन्हें झाड़ियों और कूड़ेदान में फेंक दिया। उन्होंने बताया कि सेंट्रल एडॉप्शन रेगुलेटरी के पोर्टल पर केरल , तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश कर्नाटक, राजस्थान एवं बिहार से निसंतान दंपतियों ने बच्चियों को एडॉप्ट करने के लिए आवेदन किया था, जिसके बाद कागजी प्रक्रिया को पूरा करते हुए 19 बच्चियों को वैसे निसंतान दंपतियों के हवाले सौंप दिया गया जो उनका लालन पोषण कर सके।

आज हम सभी को बेटी दिवस के मकसद को समझना होगा। मालूम हो कि मनु स्मृति में भी बेटियों के प्रति सम्मान और स्नेह को दर्शाया गया है। मनुस्मृति में स्पष्ट लिखा है- “ यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।। “ इसका भावार्थ यह है कि जहां नारियों की पूजा होती है। वहां, देवता वास करते हैं। वहीं, जहां नारियों की पूजा नहीं होती है, उनका सम्मान नहीं होता है। उस स्थान पर किए गए समस्त अध्यात्म और अच्छे कर्म सफल नहीं होते हैं।

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