मॉनसून सत्र : चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर विपक्ष ने किया हंगामा, नीतीश ने कहा जागरूकता से बचेगी जान

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पटना. मॉनसून सत्र के तीसरे दिन विपक्ष ने चमकी बुखार (एईएस) से बच्चों की मौत पर हंगामा किया। सदन के बाहर और अंदर विपक्षी नेताओं ने हंगामा व नारेबाजी की। चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर सदन में चर्चा के लिए विपक्ष ने कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसे मंजूर किया गया।

राजद नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी ने चमकी बुखार से बच्चों की मौत को राज्यसरकार की विफलता बताया। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से हर साल बच्चों की मौत होती है, लेकिन सरकार इसकी रोकथाम नहीं कर पाई। स्वास्थ्य मंत्री बीमारी की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने में विफल रहे।

बीमारी की रोकथाम के लिए जागरूकता जरूरी
बच्चों की मौत पर विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिया। नीतीश कुमार ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में जो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं है उसके प्रति हम सिर्फ शोक प्रकट नहीं कर सकते। यह बहुत ही गंभीर मामला है। इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हुई है। बीमारी के संबंध में हमलोगों ने बैठक की थी। 2014 के बाद इस प्रकार की बीमारी से मौत का सिलसिला चल रहा है। बीमारी का क्या कारण है इस संबंध में एक्सपर्ट्स की अलग-अलग राय है। कोई कहता है कि इसका संबंध सरयु नदी से है। इसके कारण पर कोई एकमत नहीं है। जिसके चलते मैंने कहा था कि एक्सपर्ट्स की ज्वाइट कमिटी बने।

इसके बार में जागरूकता अभियान चलाने को मैंने कहा था। पिछले कुछ वर्षों में कम घटना घटी और इस बार ज्यादा ही घटी। इस बार पूरे देश को इसकी जानकारी मिली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बीमारी का कारण जानने के लिए एक टीम की संरचना की है। बीमारी का शिकार लोग गरीब परिवार से हैं। मैं बीमार बच्चों के माता-पिता से बात की। बेड की कमी थी। एक बेड पर दो बच्चे थे। मैंने बेड बढ़ाने को कहा था, जिसके बाद जेल के वार्ड को हटाकर आईसीयू बनाया गया। मैं हॉस्पिटल में देखा कि बच्चे गरीब परिवार के थे। बच्चियों की संख्या अधिक थी। इसका सोसियो इकोनॉमिक सर्वे हो रहा है। एस्बेस्टस की बात भी सामने भी आई है। यह बहुत गलत चीज है। मैं एस्बेस्टस के खिलाफ रहा हूं।

गया में लू से बड़ी संख्या में लोग मर गए। अधिकतर मरने वाले लोग अधिक उम्र के थे। मैं गया में जापानी इन्सेफेलाइटिस के लिए क्या किया जा रहा है, इसके बारे में भी अधिकारियों से पूछा है। अधिकारियों ने कहा कि इसके लिए वैक्सीनेशन किया जा रहा है। मैंने पूरे बिहार में वैक्सीनेशन के लिए कहा है।

बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण करना होगा। पहले 20-25 फीसदी बच्चों का टीकाकरण होता था। आज यह आंकड़ा 80-85 फीसदी तक पहुंच गया है। हमारा लक्ष्य पूर्ण टीकाकरण का है। टीकाकरण के मामले में बिहार को देश के टॉप 5 राज्यों में पहुंचाना है।

हाइपोग्लाइसेमिया से हुई अधिकतर बच्चों की मौत
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि 2012 में चमकी बुखार के ईलाज के लिए एसओपी बना था। बिहार के 15 जिले इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। एसओपी के अनुसार बीमारी से प्रभावित जिलों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों और इन जिलों में पड़ने वाले चिकित्सा महाविद्यालयों में आवश्यक दवाओं और उपकरणों की व्यवस्था की गई। एईएस बीमारी की पहचान के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिसर्च किए गए, लेकिन किसी विशेष कारक की पहचान नहीं की जा सकी है।

इस साल सबसे अधिक मौत हाइपोग्लाइसेमिया से हुई है। यह एईएस का ही एक लक्षण है। इसका कारण प्रभावित क्षेत्र में अत्यधिक गर्मी, आद्रता और बारिश का न होना है।

घटी है मृत्यु दर
मंगल पांडेय ने कहा कि एईएस से बच्चों की मृत्यु दर घटी है। 2016 में 324 मरीज भर्ती हुए थे, 103 बच्चों की मौत हुई थी। मृत्यु दर 32 फीसदी था। 2017 में 189 मरीज भर्ती हुए थे, 54 बच्चों की मृत्यु हुई थी। मृत्यु दर 29 फीसदी रहा। 2018 में 124 मरीज भर्ती हुए, 33 बच्चों की मौत हुई। मृत्यु दर 27 फीसदी रहा। 28 जून तक आंकड़े के अनुसार 720 मरीज सामने आए, 154 बच्चों की मौत हुई। मृत्यु दर घटकर 21 फीसदी पर आ गया है।

पोस्टर लेकर किया प्रदर्शन 

इससे पहले विपक्ष के सदस्यों ने विधानसभा के बाहर चमकी बुखार से बच्चों की मौत के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। हाथों में पोस्टर लिए विधायक बच्चों की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे थे। वे मंगल पांडेय को बर्खास्त करने की मांग कर रहे थे।

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