भोपाल . भोपाल सेंट्रल जेल से पैरोल पर छूटे कैदी राजेश परमार की संदिग्ध मौत के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। राजेश ने खुद को आग लगाकर आत्मदाह नहीं किया था। अपने हुलिए के एक बेकसूर को पहले गला दबाकर मार डाला फिर पेट्रोल उड़ेलकर जला दिया। रातीबड़ पुलिस ने बुरी तरह झुलसे शव का पोस्टमार्टम करवाया तो इस साजिश का खुलासा हुआ। पता चला कि झुलसा हुआ शव राजेश परमार का नहीं बल्कि किसी और का है। सात दिन चली जांच के बाद पुलिस ने राजेश को बेंगलुरू से और उसके साथी को गुजरात से गिरफ्तार कर लिया है।
इस सनसनीखेज प्लानिंग का मास्टरमाइंड है 34 साल का राजेश परमार। राजेश, नीलबड़ के हरी नगर का रहने वाला है। 2015 में हुई हत्या के मामले में सजायाफ्ता राजेश 15 जून को पैरोल पर भोपाल सेंट्रल जेल से बाहर आया था। 14 दिन बाद यानी 29 जून को उसे जेल लौटना था। वह वापस जेल नहीं जाना चाहता था, इसलिए 28 जून को ही अपनी खुदकुशी की झूठी कहानी प्लान की। इसके लिए उसने 28 जून की सुबह अपने अच्छे दोस्त निहाल खान (20) को कॉल कर जिंसी चौराहा बुलाया। मूलत: बिहार के चंपारण का रहने वाला निहाल यहां निजामुद्दीन कॉलोनी में रहकर अटेर से इंजीनियरिंग कर रहा है।
सुबह करीब साढ़े आठ बजे दोनों जिंसी चौराहे पर मिले। यहां राजेश ने इस साजिश में शामिल होने के लिए मदद मांगी, लेकिन निहाल ने इनकार कर दिया। तब राजेश ने अपने मृत पिता का हवाला दिया तो निहाल तैयार हो गया। राजेश ने कहा तुझे तो केवल मेरा साथ देना है, बाकी सब मैं संभाल लूंगा। इसके लिए तुझे एक लाख रुपए भी दूंगा।
कौन है राजू… गोविंदपुरा में रहने वाला मजदूर : एएसपी अखिल पटेल का कहना है कि आरोपियों ने जिस राजेश रैकवार उर्फ राजू को मारा है, वह गोविंदपुरा क्षेत्र का रहने वाला है। पेशे से मजदूर है और गोविंदपुरा थाने में उसकी 28 जून की रात गुमशुदगी भी दर्ज है। इस मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ आजीवन कारावास से दंडित अपराधी द्वारा हत्या, हत्या, हत्या के लिए अपहरण, आपराधिक साजिश और साक्ष्य छिपाने की धाराओं में केस दर्ज कर लिया है।
पर्दाफाश हुआ तो पुलिस ने बैंगलुरु से किया गिरफ्तार
कहानी का नया किरदार तलाशने शाम को निकले : राजेश ने निहाल को फोन कर 28 जून की शाम अपने घर बुलाया। निहाल पहले राजेश के घर पर किराए से रह चुका था। रात 8:30 बजे दोनों बाइक लेकर घर से निकले। उन्हें राजेश के हुलिए से मिलते-जुलते एक युवक की तलाश थी। कई कलारियों पर तलाशते हुए प्रभात चौराहा की कलारी पर पहुंचे। यहां उन्हें एक युवक अकेले शराब पीते नजर आया। नाम था राजेश रैकवार उर्फ राजू। दोनों ने पहले राजू के पास बैठकर थोड़ी शराब पी और उसे दोस्त बना लिया। फिर एक क्रेशर में नौकरी लगवाने का लालच दिया और अपनी बाइक से उसे नीलबड़ लाने लगे। पीएंडटी कलारी पर एक मिनट रुके, लेकिन शराब नहीं ली।
पहले से लिखा सुसाइड नोट कमरे में छोड़ा और निकल गए : राजेश ने राजू से कहा पीएंडटी कलारी पर शराब महंगी है, साक्षी ढाबे के पास स्थित कलारी से खरीदेंगे। यहां से निकलकर नेहरू नगर स्थित पुलिस पेट्रोल पंप पहुंचे और बाइक में 800 रुपए का पेट्रोल डलवाया। रात 10:30 बजे घर पहुंचे और राजू को दोबारा शराब पिलानी शुरू कर दी। राजू का नशा जैसे ही बढ़ा राजेश ने उसके हाथ-पैर रस्सी से बांधकर गला दबा दिया। इसके बाद अपनी पुरानी किताबें, कपड़े, चद्दर और घर में रखा अन्य सामान राजू के पास लाकर रखने लगा। बाइक से पेट्रोल निकालकर राजू और उसके आसपास पड़े सामान पर उड़ेल दिया। पहले से लिखा सुसाइड नोट कमरे में आग की पहुंच से दूर छोड़ा।
और फिर हत्या में तब्दील हो गई खुदकुशी की कहानी : 29 जून की सुबह रातीबड़ पुलिस राजेश के घर पहुंची। इसी दिन राजेश को पैरोल खत्म कर भोपाल सेंट्रल जेल लौटना था। पुलिस को सुसाइड नोट मिला, इसलिए शुरूआत में लगा कि उसने जिंदगी से तंग आकर आत्मदाह कर लिया। बुरी तरह झुलसे शव का पोस्टमार्टम शुरू हुआ। डॉक्टरों ने इसे हत्या करार दिया, क्योंकि शव के हाथ-पैर रस्सी से बंधे थे, पूरी तरह जल चुकी थी। पीएम के दौरान गला दबाकर हत्या की पुष्टि हुई। तब पुलिस ने इसे हत्या मानकर नए सिरे से जांच शुरू की। पता चला कि मौत के बाद भी राजेश का फोन ऑन था और उस पर बातचीत भी हो रही थी। उसके दोस्तों को बुलाकर बात की तो पता चला कि निहाल भी इन दिनों शहर छोड़ चुका है, जो राजेश का काफी करीबी है।
ऐसे पकड़ा… लोकेशन के आधार पर पहले निहाल तक पहुंची पुलिस : इस बीच पुलिस ने निहाल की भी तकनीकी पड़ताल शुरू कर दी। लोकेशन के आधार पर पुलिस गुजरात स्थित अंदर जा पहुंची, जहां वह अपने दोस्त विशाल के घर रुका हुआ था। कुछ सवालों में ही वह टूट गया और पूरी साजिश का खुलासा कर दिया। निहाल ने अपना पुराना सिमकार्ड राजेश को दिया था। राजेश साउथ इंडिया में था और बार-बार बात कर फोन स्विच ऑफ कर रहा था। पुलिस के कहने पर निहाल ने राजेश से बात की। बोला इधर-उधर मत भागो, बेंगलुरू में मेरा एक दोस्त रहता है, कुछ दिन वहीं रुक जाओ। भरोसे में आया राजेश जैसे ही सेंट्रल चेन्नई पहुंचा, यहां पहले से मौजूद भोपाल पुलिस की टीम ने उसे पकड़ लिया।