पंचकूला. पंचकूला स्पेशल सीबीआई कोर्ट के ऑर्डर पर साध्वी यौन शोषण और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में रोहतक की सुनारिया जेल में सजा भुगत रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। गुरमीत सिंह की ओर से फसल के नाम पर पैरोल मांगने के मामले में सरकार और सभी राजनीतिक पार्टियों की अोर से नरम रूख अपनाया जा रहा है।
वहीं रामचंद्र छत्रपति की बेटी श्रेसी का कहना है कि गुरमीत सिंह दोषी है और आपराधिक सोच का इंसान है, वह बाहर आया तो हमारे पूरे परिवार को जान का खतरा है। उसे किसी भी कीमत पर पैरोल नहीं मिलनी चाहिए। गुरमीत की पैरोल के विरोध में श्रेसी समेत कई लोगों ने बुधवार को पंचकूला सेक्टर-5 यवनिका गार्डन में इकट्ठे होकर प्रदर्शन किया।
श्रेसी ने बताया कि पांच महीने पत्रकार रामचंद्र छत्रपति मर्डर केस में फैसला सुनाने के दौरान सीबीआई कोर्ट ने गुरमीत सिंह को पंचकूला सीबीआई कोर्ट में लाए जाने के लिए कहा था तो उस दौरान सरकार की ओर से कोर्ट में कहा गया था कि अगर गुरमीत सिंह जेल से बाहर आता है तो हालात बिगड़ सकते हैं। उसे जेल में ही सजा सुनाई जानी चाहिए। कानून व्यव्स्था का ध्यान रखना चाहिए। अब सरकार का अपने उस स्टैंड को भूल गई है और गुरमीत के खिलाफ नरम रवैया अपना रही है।
श्रेसी ने कहा कि क्या अब गुरमीत के जेल से बाहर आने से हरियाणा में कानून व्यवस्था पर असर नहीं पड़ेगा। हरियाणा में विधानसभा चुनाव है। हर पार्टी की डेरा समर्थकों के वोटों पर नजर है, इसी कारण अब कोई गुरमीत की पैरोल का विरोध नहीं कर रहा।श्रेसी ने बताया कि सरकार के मंत्री बार-बार बोलते हैं कि गुरमीत सिंह का अधिकार है कि वह पैरोल पर बाहर आ सकता है, लेकिन पांच महीने पहले कानून व्यवस्था बिगाड़ने वाला क्या अब कुछ नहीं करेगा। असल में गुरमीत सिंह ने बाहर खेती नहीं करनी है, उसके नाम पर तो जमीन ही नहीं है। ऐसे में यहां तो उसकी वोटों की फसल की खेती होनी है, जिसे राजनीतिक पार्टियां काटेंगी। अगर गुरमीत सिंह को पैरोल मिलती है या उसका माहौल बनता है तो हम कोर्ट में जाएंगे। गुरमीत के बाहर आने से हमारे परिवार के सदस्यों को जान का खतरा है। उन्होंने कहा कि कानून के हिसाब से एक मर्डर केस में गुरमीत को 5 महीने पहले ही सजा सुनाई गई थी, ऐसे में उसे अभी पैरोल नहीं दी जा सकती है।
दोबारा कराया जा रहा सर्वे
सिरसा प्रशासन की ओर से रेवेन्यू डिपार्टमेंट से सर्वे करवाया गया था, जिसमें सामने आया है कि गुरमीत सिंह के नाम पर कोई जमीन नहीं है। सारी जमीन डेरे के नाम पर है। जब उसके नाम पर जमीन नहीं है तो खेती करने के नाम पर उसे पैरोल किस बात की दी जाए। श्रेसी ने दावा किया है कि अब दोबारा से सर्वे करवाया जा रहा है। रेवेन्यू डिपार्टमेंट को दोबारा से सर्वे कर रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है, जिसको लेकर सिरसा प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।