पुलिस को फटकार : हत्या मामले में उम्रकैद पर हाईकाेर्ट ने सजा कर दी थी सस्पेंड; पेश न होने पर दोबारा गिरफ्तारी के आदेश

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चंडीगढ़ . जालंधर के दानिशमंदा में 18 साल पहले हुई हत्या मामले में सजायाफ्ता लालचंद को गिरफ्तार न कर पाने पर हाईकोर्ट ने जालंधर पुलिस को फटकार लगाई है। पंजाब पुलिस ने असमर्थता जताते हुए हाईकोर्ट में कहा कि सजायाफ्ता गर्मियों की छुट्टियां मनाने परिवार के साथ जम्मू गया है लिहाजा उसे गिरफ्तार नहीं कर सकते।

हाईकोर्ट ने इस दलील पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि डिसिपलिन फोर्स एेसी दलीलें नहीं देती। यह दर्शाता है कि पुलिस हाईकोर्ट के आदेशों को लेकर किस कदर गंभीर है। एडीशनल चीफ सेक्रेटरी जालंधर वेस्ट के असिस्टेंट कमिश्नर बरजिंदर सिंह पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करें। साथ ही डीजीपी जांच करें। हाईकोर्ट ने जालंधर डिवीजन नंबर-5 के एसएचओ पर कार्रवाई और उसे काम न करने दिया जाए। एक सप्ताह में उसे गिरफ्तार भी करें। उनकी जगह किसी दूसरे अधिकारी को नियुक्ति करें।
कोर्ट ने जालंधर डिवीजन नंबर-5 के एचएसओ को काम नहीं करने देने के भी दिए अादेश

हत्या के मामले में फरार है लालचंद  : हत्या के मामले में आरोपी लालचंद को जालंधर की अदालत से आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई। साथ ही सुनवाई के दौरान सजा सस्पेंड किए जाने की मांग की गई। सात फरवरी को इस मामले में सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलेंट लाल चंद कोर्ट में पेश नहीं हुआ लिहाजा सजा सस्पेंड किए जाने का फैसला वापस लिया जा रहा है। ऐसे में पुलिस लाल चंद को गिरफ्तार कर ले। इस मामले में एसीपी बलजिंदर की तरफ से कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दायर कर कहा गया कि अपील करने वाले अश्विनी कुमार की मौत हो चुकी है जबकि लाल चंद परिवार के साथ गर्मियों की छुट्टियां मनाने के लिए जम्मू गया है। ऐसे में उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका।

पुलिस :अपना काम सही ढंग से नहीं कर रही : हाईकोर्ट ने कहा कि यह पुलिस प्रशासन की लापरवाही उजागर करता है। कोर्ट भी यह देख रही है कि उसके फैसलों को लागू कराने में पुलिस बुरी तरह असफल है। पुलिस डिसिपलिन फोर्स है जहां कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी कंधों पर है।

लोगों का पुलिस व्यवस्था में विश्वास है लेकिन इस तरह की दलीलें कि सजायाफ्ता परिवार के साथ गर्मियों की छुट्टियां मना रहा है और पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकती मंजूर नहीं की जा सकती। यह दर्शाती है कि पुलिस अपना काम सही ढंग से नहीं कर रही। पुलिस आरोपी को एक सप्ताह के अंदर कैसे भी अरेस्ट करे।

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