पहली छमाही में प्रमोटर्स ने बेचे 87,000 करोड़ रुपए से ज्यादा के शेयर

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2024 की पहली छमाही में कंपनियों के प्रमोटरों ने शेयर बाजार में तेजी और आकर्षक वैल्यूएशन का लाभ उठाते हुए कुल मिलाकर ₹87,400 करोड़ के शेयर बेचे। यह आंकड़ा पिछले कैलेंडर वर्ष में प्रमोटरों द्वारा इक्विटी शेयरों की बिक्री के माध्यम से जुटाए गए 99,600 करोड़ रुपए से केवल 12 फीसदी कम है, जो एक रिकॉर्ड वर्ष था।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (KIE) द्वारा किए गए एक विश्लेषण के अनुसार, शीर्ष 500 कंपनियों के प्रमोटरों ने 87,400 करोड़ रुपए मूल्य के शेयर बेचे। प्रमोटर्स और निजी निवेश कंपनियों (PE फर्मों) ने जमकर शेयर बेचे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा करने के पीछे अच्छा बाजार का माहौल और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती अर्थव्यवस्था का असर है।

प्रमोटर्स की बिक्री के पीछे की वजहें

KIE की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमोटरों द्वारा ज्यादा शेयर बेचने की कई वजहें हो सकती हैं लेकिन मुख्य कारणों में कारोबार का विस्तार, न्यूनतम शेयरधारिता नियमों का पालन, कर्ज कम करना, प्रमोटर परिवार की होल्डिंग में बदलाव, निजी कारण और प्रमोटरों के हितों का रणनीतिक पुनर्गठन शामिल हैं।

प्रमुख शेयर बिक्री
  • वोडाफोन पीएलसी: इंडस टावर में ₹15,300 करोड़ की शेयर बिक्री
  • इंटरग्लोब प्रमोटर्स: ₹10,200 करोड़ की शेयर बिक्री
  • टाटा समूह: टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज में ₹9,300 करोड़ की शेयर बिक्री
निजी इक्विटी फर्मों की गतिविधियां

निजी इक्विटी फर्मों (PE फर्मों) ने भी ₹39,300 करोड़ (4.7 अरब डॉलर) के शेयर बेचे। कुछ PE फर्मों ने IPO के जरिए भी अपने शेयर बेचे। KIE की रिपोर्ट के अनुसार, PE फर्मों ने तेजी भरे बाजार का फायदा उठाकर अपने पूरे या कुछ हिस्से के शेयर बेच दिए हैं। पिछले कुछ सालों में बिक्री के लिए पेश किए गए शेयरों की राशि, नए निवेश से कहीं ज्यादा रही है।

प्रमोटरों की हिस्सेदारी में गिरावट

प्रमोटरों द्वारा भारी मात्रा में शेयर बेचे जाने से उनकी कुल हिस्सेदारी में गिरावट आई है। दिसंबर 2022 तिमाही के अंत में 42.1% रही प्रमोटरों की हिस्सेदारी घटकर मार्च 2024 तिमाही में 38.8% रह गई। जून 2024 तिमाही के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन माना जा रहा है कि ये और कम हो सकते हैं।

कुल मिलाकर, 2024 की पहली छमाही में प्रमोटरों और PE फर्मों द्वारा बड़े पैमाने पर शेयरों की बिक्री से पता चलता है कि वे मौजूदा बाजार स्थितियों का पूरा फायदा उठा रहे हैं। इस समय, बाजार में तेजी और विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ती अर्थव्यवस्था ने प्रमोटरों को अपने शेयर बेचने के लिए प्रेरित किया है, जिससे उनकी कुल हिस्सेदारी में गिरावट आई है।

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