अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आ रही गिरावट से उद्योगों को राहत मिल रही है। औद्योगिक कच्चे माल की कीमतों में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया है, लेकिन दूसरी तरफ डालर के मुकाबले रुपये में आ रही कमजोरी कहीं न कहीं दिक्कत कर रही है। बावजूद इसके उद्यमियों का तर्क है कि आने वाले वक्त में कच्चे माल की कीमतों में ओर कमी आ सकती है। पहले नेचुरल रबड़ के दाम 165 रुपये प्रति किलो थे, जोकि अब कम होकर 150 से भी नीचे आ गए हैं। इसी तरह कार्बन ब्लैक, सिंथेटिक रबड़ के अलावा-अलग अलग तरह के केमिकल्स के रेटों में भी कमी दर्ज की जा रही है। इससे उद्यमियों की चिंताएं कम हो रही हैं।
आल इंडिया रबड़ मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मोहिंद्र गुप्ता के अनुसार कच्चे माल के दाम नर्म होने से निश्चित ही इंडस्ट्री को राहत मिली है, क्योंकि इस उद्योग का ज्यादातर कच्चा माल पेट्रो उत्पादों से ही तैयार होता है। उन्होंने कहा कि आगे भी कच्चे माल के दामों में और कमी देखने को मिल सकती है। गुप्ता के अनुसार ओवरसीज मार्केट में सुस्ती और रूस एवं यूक्रेन के बीच लंबे वक्त से चल रहे युद्ध के कारण आर्डर की दिक्कतें आ रही हैं। रबड़ उत्पादों का रूस बड़ा बाजार है। वहां से आर्डर कम आ रहे हैं। इसके अलावा यूरोप के देशों की सुस्ती का असर भी कारोबार पर दिख रहा है। रबड़ उद्योग विश्व बाजार में आटो पार्ट्स की आपूर्ति करता है। इनमें कनवेयर, बेल्ट, हौसपाइप, टायर इत्यादि प्रमुख हैं। गुप्ता के अनुसार सरकार को इस उद्योग को अतिरिक्त इंसेंटिव देने चाहिए, ताकि यह उद्योग भी तेजी से आगे बढ़ सके।