राजधानी दिल्ली के साथ-साथ पंजाब में इन दिनों वायु प्रदूषण बढ़ा हुआ है. इसके बाद भी पंजाब में पराली जलने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इस बीच पंजाब की भगवंत मान सरकार ने दावा किया है कि पिछले तीन सालों में 20 प्रतिशत कम पराली जली है. पंजाब सरकार की तरफ से कहा गया है कि 2020 में 20 नवंबर तक पराली जलाने के कुल 75,986 मामले दर्ज हुए.
वहीं 20 नवंबर 2021 तक 70,711 मामले रिकॉर्ड हुए थे, जो इस साल यानी 2022 में कम होकर सिर्फ 49,775 मामले रह गए हैं. इसका मतलब है कि पिछले सालों की तुलना में 20.3 प्रतिशत स्थान पर कम पराली जलाई गई. अब धान की फसल की कटाई भी लगभग पूरी हो चुकी है. इस साल पंजाब में पराली जलाने के मामली में कमी लाने में जागरूकता और प्लानिंग ने अहम भूमिका निभाई है.
मान सरकार ने पराली को ‘पराली धन’ में तब्दील करने के कई कदम भी उठाए हैं, जिनमे पराली से ईंधन बनाना और केरल को पराली निर्यात करना प्रमुख हैं. पंजाब में बीते रविवार को पराली जलाने के करीब 368 मामले सामने आए थे. अधिकारियों के मुताबिक बीते सालों की तुलना में इस साल अच्छा प्रदर्शन हुआ है, क्योंकि इस सीजन में 49,775 मामले ही अभी तक दर्ज किए गए हैं. ऐसे में उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में इसकी संख्या में और कमी आएगी. आपको बता दें कि 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई थीं. इस साल भी संगरूर, फिरोजपुर, मनसा, बठिंडा और अमृतसर सहित कई जिलों में पराली जलाने की घटनाओं की संख्या बहुत अधिक है.