कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अडानी समूह पर चल रही जांच की मांग को लेकर शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में खुलकर बहस करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर संसद में आकर पूरी पारदर्शिता के साथ चर्चा करनी चाहिए और “अडानी पर जांच से डरने की कोई जरूरत नहीं है।” राहुल गांधी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक पोस्ट लिखते हुए प्रधानमंत्री मोदी को सीधे चुनौती दी और लिखा, “मोदी जी संसद में आओ, अडानी पर जांच से मत डरो।” कांग्रेस और विपक्षी दलों ने शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही अडानी पर लगे अमेरिकी आरोपों पर चर्चा करने की मांग की है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी और अडानी के बीच घनिष्ठ रिश्ते के कारण सरकार इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करने से बच रही है और संसद में विपक्ष के सवालों का सही जवाब नहीं दे रही।
“मोदी अडानी, भाई भाई” – विपक्ष का विरोध
अडानी मामले पर विपक्षी सांसदों ने विरोध दर्ज करने के लिए संसद में मास्क पहने, जिन पर “मोदी अडानी, भाई भाई” लिखा था। यह विरोध अडानी समूह और प्रधानमंत्री मोदी के रिश्तों को लेकर उठाए जा रहे सवालों को लेकर था। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी सहित अन्य कांग्रेस नेता इस विरोध में शामिल हुए, और संविधान की एक प्रति लेकर विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना था कि अडानी और मोदी के बीच के रिश्तों की जांच होनी चाहिए, क्योंकि यह देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए खतरे का विषय है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने अडानी मामले में संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन की बात करते हुए कहा, “यह बीआर अंबेडकर की पुण्यतिथि है, जिन्होंने भारत का संविधान दिया। आज हम अडानी के मुद्दे पर एक प्रतीकात्मक विरोध कर रहे हैं, क्योंकि जब भी अडानी का नाम आता है, सरकार मुद्दे को भटकाने की कोशिश करती है।” उन्होंने यह भी कहा कि संसद को अडानी मामले पर चर्चा करने का पूरा अधिकार है, और कांग्रेस इसका विरोध जारी रखेगी।
अडानी समूह का खंडन
अमेरिका में अडानी समूह के खिलाफ लगे आरोपों पर अडानी समूह ने स्पष्ट खंडन किया है। अडानी ग्रीन की निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) ने हाल ही में आरोप लगाए थे, जिनमें मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामले उठाए गए थे। अडानी समूह ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार और झूठा बताया है। कंपनी ने बयान जारी करते हुए कहा, “अडानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ लगाए गए आरोप गलत हैं और उनकी पूरी तरह से निंदा की जाती है।” हालांकि, कांग्रेस ने इन आरोपों को गंभीर बताते हुए कहा कि इस मामले में सरकार को जवाब देना चाहिए। कांग्रेस का यह भी कहना है कि अडानी के मामले में पूरी पारदर्शिता होनी चाहिए, और प्रधानमंत्री मोदी को इस पर स्पष्ट स्थिति अपनानी चाहिए।
भाजपा का पलटवार
प्रधानमंत्री मोदी पर राहुल गांधी के हमलों के जवाब में भाजपा ने कांग्रेस नेता को निशाने पर लिया। भाजपा नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है और इन आरोपों का कोई आधार नहीं है। भाजपा ने यह भी कहा कि अडानी ग्रीन के निदेशकों पर जो आरोप लगाए गए हैं, वह पूरी तरह से निराधार हैं। पार्टी ने कहा कि इस मामले में कानून अपना काम करेगा और कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के तहत प्रधानमंत्री मोदी पर हमले करने से बचना चाहिए। भाजपा प्रवक्ता ने कहा, “यह आरोप पूरी तरह से झूठे हैं। अडानी समूह के खिलाफ जो आरोप लगाए गए हैं, उनका कोई सच्चाई से कोई लेना-देना नहीं है। अगर कांग्रेस को कोई सबूत है तो वह कोर्ट में जाए, न कि संसद में राजनीतिक प्रदर्शन करे।”
मोदी और अडानी के रिश्ते
कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि प्रधानमंत्री मोदी और अडानी समूह के बीच गहरे रिश्ते हैं, जो भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं और अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी है। कांग्रेस का कहना है कि अडानी के खिलाफ जांच में पीएम मोदी की चुप्पी यह दर्शाती है कि वह अडानी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेता यह आरोप लगाते हैं कि अडानी समूह ने सरकारी नीतियों का फायदा उठाया है और प्रधानमंत्री मोदी की नजदीकी के कारण उनका साम्राज्य बढ़ा है। राहुल गांधी ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी को संसद में आकर अडानी मामले पर जवाब देना चाहिए। यह सिर्फ एक कंपनी का मामला नहीं है, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों और नियमों की बात है।”
क्या है अडानी पर आरोप?
अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (SEC) द्वारा लगाए गए आरोपों में अडानी समूह पर मनी लॉन्ड्रिंग, निवेशकों के पैसे के गबन, और शेयर बाजार में अनियमितताएं करने का आरोप लगाया गया है। इसके अलावा, अडानी समूह के संबंधों को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं, जिसमें यह आरोप है कि अडानी समूह ने भारतीय सरकारी नीतियों का फायदा उठाया है और इसके जरिए भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है। अडानी समूह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विदेशी ताकतों की साजिश हो सकती है, जो भारतीय बाजार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कंपनी ने हमेशा सभी नियमों का पालन किया है और कभी भी अनियमितताओं में शामिल नहीं रही।
अडानी मामले पर विपक्षी दलों का विरोध तेज हो गया है, और उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से संसद में इस पर खुलकर चर्चा करने की मांग की है। कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने आरोप लगाया है कि सरकार इस मामले पर जानबूझकर चुप्पी साधे हुए है और अडानी समूह को बचाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि यह मुद्दा सिर्फ एक व्यापारी का नहीं, बल्कि देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं और संविधान का भी है। विपक्ष का आरोप है कि अडानी के मामले में सरकार पूरी तरह से पक्षपाती रही है, और पीएम मोदी को इस मामले में संसद में आकर जवाब देना चाहिए। इस मुद्दे पर सरकार की प्रतिक्रिया और आगे की राजनीति यह तय करेगी कि यह मामला भारतीय राजनीति में किस दिशा में आगे बढ़ेगा और क्या इस पर कोई ठोस कार्रवाई की जाएगी।