नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड में चोरी के शक में युवक की मॉब लिंचिंग और बिहार में चमकी बुखार से बच्चों की मौत पर पहली बार बयान दिया है। मोदी ने बुधवार को राज्यसभा में कहा, झारखंड में युवक की हत्या का सबको दुख है। सदन में कहा गया कि झारखंड मॉब लिंचिंग और मॉब वॉयलेंस का अड्डा बन गया है। ये सही नहीं है। पूरे झारखंड को बदनाम करने का हक किसी को नहीं है। वहीं, चमकी बुखार को लेकर मोदी ने कहा कि यह 7 दशकों में सरकारों की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक है। दुख की बात है कि आधुनिक युग में भी ऐसा हो रहा है। हमें इसपर शर्मिंदगी है। मैं बिहार सरकार से लगातार संपर्क में हूं।
मोदी ने बुधवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर राज्यसभा में जवाब दिया। इस दौरान मोदी ने ईवीएम, चुनाव प्रक्रिया, न्यू इंडिया, आधार, एक देश-एक चुनाव, मीडिया की भूमिका जैसे मुद्दों पर भी राय रखी।
हिंसा पर राजनीति नहीं होनी चाहिए- मोदी
मोदी ने कहा कि झारखंड मामले में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। जो बुरा हुआ है, जिन्होंने बुरा किया है.. उन्हें सजा मिलनी चाहिए। वहां भी सज्जनों की भरमार है। अपराध होने पर उचित रास्ता कानून और न्याय से है। संविधान, कानून और व्यवस्थाएं हैं इसके लिए। हम जितना कर सकते हैं, करना चाहिए और इससे पीछे नहीं हटना चाहिए। गुड टेररिज्म और बैड टेररिज्म ने बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। इसी तरह हिंसा चाहे झारखंड में हो, बंगाल में हो या फिर केरल में, हिंसा का हर जगह विरोध होना चाहिए।
देश और लोकतंत्र हार गया, ये कहना गलत- मोदी
मोदी ने कहा कि दुख होता है जब कुछ नेता कहते हैं कि भाजपा और उसके सहयोगी जीत गए, लेकिन देश हार गया और लोकतंत्र हार गया। ये बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं। मतदाताओं के फैसले पर सवाल क्यों उठाए जाते हैं।
मोदी ने कहा, “जब यह बात कही जाती है कि लोकतंत्र हार गया तो मैं जरूर पूछना चाहूंगा कि क्या वायनाड में हिंदुस्तान हार गया? क्या रायबरेली में हिंदुस्तान हार गया है? क्या अमेठी में हिंदुस्तान हार गया है? यानी कांग्रेस हारी तो देश हार गया। देश यानी कांग्रेस और कांग्रेस यानी देश। अहंकार की एक सीमा होती है। 55 साल तक देश में सरकार चलाने वाला दल 17 राज्यों में एक सीट नहीं जीत पाया। हमने देश के मतदाताओं को कठघरे में खड़ा कर दिया। लोकतंत्र में आलोचना सम्मानित होती है, लेकिन देश के मतदाताओं का इस तरह का अपमान पीड़ा देता है।”
देश के किसान को बिकाऊ कहा गया- मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा, ”यहां यह तक कह दिया गया कि देश का किसान बिकाऊ है। दो-दो हजार की योजना के कारण किसानों के वोट खरीद लिए गए। हमारे देश का किसान बिकाऊ नहीं है। हमारा किसान वह है जो हमारे लिए अन्न पैदा करता है। वह मेहनत के वक्त नहीं सोचता कि यह गरीब या अमीर के पेट में जाएगा। 15 करोड़ किसानों को इस तरह की भाषा का प्रयोग कर अपमानित किया गया।”
‘क्या तमिलनाडु और केरल में भी मीडिया को खरीदा गया’
मोदी ने कहा, ”मीडिया की वजह से हम चुनाव जीते, यह कहा गया। हम कहां खड़े हैं। मीडिया बिकाऊ है क्या, मीडिया कोई खरीद लेता है क्या? क्या तमिलनाडु और केरल में यही लागू होगा क्या? इस सदन में बोली गई बातों का असर पूरे देश में होता है। हम कुछ भी कहते हैं और अखबारों को हेडलाइन मिल जाएगी। हमें गर्व होना चाहिए कि भारत की चुनाव प्रक्रिया विश्व में हमारी प्रतिष्ठा को बढ़ाने का एक अवसर होती है। इस अवसर को खोना नहीं चाहिए।”
हम भी हारे, लेकिन कभी रोना नहीं रोया- मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा, ”सदन में ईवीएम पर चर्चा होती है। नई बीमारी शुरू हुई। ईवीएम को लेकर सवाल उठाए जाते हैं, बहाने बनाए जाते हैं। कभी हम भी सदन में दो रह गए थे, लेकिन हमारा कार्यकर्ताओं, विचारों और लोकतंत्र पर भरोसा था। निराशाजनक वातावरण में हमने कार्यकर्ताओं पर विश्वास पैदाकर पार्टी को खड़ा किया। हम भी हारे, लेकिन कभी रोना नहीं रोया कि इस वजह से हारे, उस वजह से हारे। जब स्वयं पर भरोसा नहीं रहता, सामर्थ्य का अभाव रहता है.. तब बहाने खोजे जाते हैं।”
- ”1982 में पहली बार ईवीएम का प्रयोग हुआ। 1988 में इसी सदन में बैठे हुए सदस्यों ने इसे कानूनी मंजूरी दी। कांग्रेस ने ईवीएम को लेकर नियम बनाए। ये भी तो आपने किया, हार गए तो अब रो रहे हो। आज पराजय के लिए हम इस तरह की बात कर रहे हैं। सालों परीक्षण के बाद देश की सभी न्यायपालिकाओं ने ईवीएम पर सकारात्मक फैसला दिया।”
- ”2017 में जब विवाद उठा तो चुनाव आयोग ने चैलेंज दिया था कि आप आएं और गड़बड़ी निकालें। जो रोना रो रहे हैं, उनमें से एक दल वहां गया नहीं। ये अप्रचार, इतना बड़ा तूफान खड़ा किया तो हम भी मानने लग गए कि ईवीएम मेें गड़बड़ है।”
- ”हमने टेक्नोलॉजी को समझने का प्रयास किया। फिर वीवीपैट की बात आई। बार-बार सुप्रीम कोर्ट में गए। चुनाव के वातावरण को खराब करने का प्रयास किया गया। जितनी आशंकाओं को लेकर गए, हम सब साक्षी हैं कि वीवीपैट ने फिर ईवीएम की ताकत को बढ़ा दिया।”
- ”कांग्रेस ने इतने सालों तक शासन किया है। आपमें कुछ ना कुछ ऐसी प्रॉब्लम है कि आप विजय भी नहीं पचा पाते। 2014 से देख रहा हूं कि आप पराजय को स्वीकार भी नहीं कर पाते हैं। भारत के लोकतंत्र में हर दल का अपना स्थान और महत्व है, उसका सम्मान होना चाहिए। लेकिन, ना हम पराजय को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं और ना ही हम विजय को बचाने का साहस रखते हैं।”
न्यू इंडिया का विरोध क्यों- मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा, ”हैरान हूं कि न्यू इंडिया विरोध हो रहा है। हमें आगे बढ़ना है, दुनिया के भीतर हमें आगे बढ़ना है, सवा सौ करोड़ का देश है.. हम क्यों ना सपना देखें। हमें वो ओल्ड इंडिया चाहिए क्या जहां सैर-सपाटे के लिए नौ सेना का जहाज ले जाएं, जल-थल-नभ हर जगह घोटाले करें, टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करें, इंस्पेक्टर राज हो, इंटरव्यू चलते रहें, गैस के लिए कतारें लगी हों? हमें ऐसा ओल्ड इंडिया चाहिए। देश की जनता हिंदुस्तान को पुराने दौर में ले जाने के लिए कतई तैयार नहीं है।”